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    शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने ओवैशी को पाकिस्तान जाने की सलाह दी

  • August 06, 2020

    यहां के मुस्लिमों को शांति से रहने दो
    नई दिल्ली। शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिज़वी ने असदुद्दीन ओवैसी को उसी की भाषा में जवाब दिया है। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन में पीएम मोदी के शामिल होने पर असदुद्दीन ओवैसी ने हमला बोला था जिसके जवाब में रिजवी ने कहा कि अगर ओवैसी को कोई परेशानी है तो वो पाकिस्तान चले जाएं लेकिन यहां के मुसलमानों को शांति से रहने दें।
    वसीम रिजवी ने असदुद्दीन ओवैसी को कहा है कि मंदिरों को तोड़ने वाले तुम्हारे पूर्वज थे। रिजवी ने आगे कहा कि जिनका हक तुमने छीना था, भारतीय संविधान ने उन्हें उनका हक दिला दिया। रिजवी ने ओवैसी को हिंदू-मुसलमान के खून बहाने की राजनीति बंद करने की सलाह दी और कहा कि जिहाद के नाम पर मुसलमानों को लड़वाएं नहीं।
    हिंदी में एक वीडियो संदेश जारी करते हुए, शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने एआईएमआईएम प्रमुख को अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के सामने मौन रहने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि हम सब भारतीय संविधान के नियमों से बंधे हैं और उसी सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए सही मार्ग प्रशस्त किया है।
    अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। ओवैसी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी को भूमि पूजन में नहीं जाना चाहिए था। वो किसी खास मजहब के पीएम नहीं हैं। ओवैसी ने कहा कि पीएम ने 15 अगस्त को आज 5 अगस्त से मिला दिया। मैं पूछना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने आज किसे शिकस्त दी है? ये स्वतंत्रता सेनानियों की तौहीन की गई है।
    शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर भी निशाना साधा और कहा कि बोर्ड इस बात के इंतजार में है कि ‘हिंदुस्तान में एक बार फिर वो बाबरी फौज बनाएगा हिंदुस्तान में गृह युद्ध करवाकर हिंदुस्तान के संचालक पर एक बार फिर कब्जा करेगा। उन्होंने कहा कि दिल बहलाने के लिए मु्स्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ख्याल अच्छा है। लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह कैसे सोच लिया कि हिंदुस्तानी मुसलमान इनके मंसूबों में इनका साथ देगा। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी भूमिपूजन से पहले कहा था कि बाबरी मस्जिद कल भी थी, आज भी है और कल भी रहेगी। हागिया सोफिया इसका बेहतरीन उदाहरण है। मस्जिद में मूर्तियां रख देने, पूजा-पाठ शुरू कर देने या एक लंबे अर्से तक नमाज पर पाबंदी लगा देने से मस्जिद की हैसियत खत्म नहीं हो जाती।

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