पेरिस पर्यावरण परिवर्तन पर डयूक यूनिवर्सिटी ने ताज़ा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि वैश्विक स्तर पर दो डिग्री तापमान बढ़ने पर अंकुश लगा लें तो समय पूर्व जन्म लेने वाले 45 लाख शिशुओं की जान बचाई जा सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तीन वर्ष पूर्व पेरिस पर्यावरण परिवर्तन से औपचारिक तौर पर पीछे हटने का प्रस्ताव किया हुआ है। वह चार नवंबर तक अपने पूर्व निर्णय में संशोधन नहीं करते है, तो विश्व के सम्मुख एक बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। राष्ट्रपति चुनाव तीन नवंबर को है।
इस शोध रिपोर्ट के रचियता प्रोफ़ेसर द्रीयू शिंडेल ने कहा है कि पेरिस पर्यावरण परिवर्तन पर पहले भी शोध रिपोर्ट आई है। अब चूँकि अमेरिका के इस वैश्विक प्रोजेक्ट से हटने के दिन समीप आते जा रहे हैं, पर्यावरणविदों की चिंताएँ बढ़ना स्वाभाविक है। उन्होंने रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका पेरिस पर्यावरण परिवर्तन पर जितनी धनराशि लगाता है, उससे कहीं अधिक धन राशि बचा सकता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान बढ़ने से अमेरिका अकेले प्रतिवर्ष 35 लाख लोगों को अस्पताल में भर्ती होने और उन्हें आईसीयू अथवा शल्य क्रिया आदि से बचा सकता है। इस पर प्रतिवर्ष 37 अरब डालर की धन राशि व्यय होती है, जिसे बचाया जा सकता है। यही नहीं, इससे तीस करोड़ रोज़गार दिवस में बचत हो सकती है। वैश्विक परिवर्तन से होने वाली मौतों से ही 37 खरब डॉलर की बचत हो सकती है।
प्रो. शिंडेल ने बुधवार को कांग्रेस की एक ओवरसाइट समिति के प्रतिनिधियों के सम्मुख अपनी शोध रिपोर्ट में कहा कि समयोचित बंदोबस्त किए जाते हैं तो स्वास्थ्य में अपेक्षित सुधार और श्रम दिवस बचाने भर से अमेरिका को प्रतिवर्ष 700 अरब डॉलर की किफ़ायत होती है। डयूक यूनिवर्सिटी के इस प्रोफ़ेसर ने नासा वैज्ञानिकों के साथ मिल कर शोध पर काम किया था।
उन्होंने प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि कोयले से ऊर्जा से निजात पाना हितकर है। इस से वायु प्रदूषण में भारी सुधार होगा। इससे अगले अगले बीस वर्षों में वायु प्रदूषण से होने वाली 14 लाख लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं। डेमोक्रेट ने पिछले वर्षों में पर्यावरण संतुलन पर अनेक विधेयक प्रस्तुत किए हैं, पर उन पर सहमति नहीं हो पाई। सदन ने डेढ़ खरब डालर के हरित बुनियादी ढाँचा खड़ा करने का भी बिल पेश किया था, जो ठंडे बस्ते में चला गया।
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