रिकार्ड भी खराब नहीं हुआ और फरियादी भी होगा संतुष्ट
इन्दौर। साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इससे निपटने के लिए पुलिस ने नया फंडा ढूंढ लिया है, जिससे पुलिस का रिकॉर्ड भी खराब न हो और फरियादी भी संतुष्ट हो जाए।
पिछले कुछ सालों में देश के साथ शहर में भी साइबर अपराध में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जनसुनवाई में आने वाली 100 में से 30 शिकायतें साइबर ठगी की होती हैं। ठगी के शिकार लोगों को केस दर्ज करवाने में अच्छी खासी मशक्कत करना पड़ती है। पहले घटनास्थल को लेकर थाने की पुलिस इधर से उधर भाग आती है और फिर कह देती है कि साइबर सेल जाएं या फिर क्राइम ब्रांच। जब यहां भी कुछ नहीं हो पाता है तो फरियादी या तो सीएम हेल्पलाइन या फिर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को शिकायत करते हैं, जिसके बाद कुछ मामलों में तो केस दर्ज हो जाता है, बाकी के लोग भटकते रहते हैं। ठगी के शिकार लोगों को पैसा मिलेगा या नहीं यह तो बाद की बात है, वे केस दर्ज करवाने में ही परेशान हो जाते हैं। इस कवायद से बचने के लिए पुलिस ने नया फंडा ईजाद कर लिया है। हाल ही में क्राइम ब्रांच ने आर्मी ऑफिसर बनकर लोगों के साथ की गई ठगी की 39 शिकायतों के मामले में 127 लोगों के खिलाफ एक ही केस दर्ज किया है। इन सब मामलों में केवल एक बात समान है, सभी को आर्मी अफसर बनकर ठगा गया, जबकि हर घटना का घटनास्थल, व्यक्ति समय और सामान अलग है। इससे पुलिस को यह फायदा होगा कि उसे कई केसों के स्थान पर एक ही केस दर्ज करना पड़ेगा। इसके कारण रिकॉर्ड भी खराब नहीं होगा, वहीं किसी भी केस में आरोपी पकड़े जाने पर सभी केस का निपटारा एक साथ हो जाएगा। यदि नहीं भी हुआ तो तीन महीने बाद पुलिस सभी केस में एक साथ खात्मा भी काट सकती है। वहीं रिपोर्ट दर्ज होने के कारण फरियादी भी संतुष्ट हो जाता है, चाहे उसे ठगी का पैसा मिले या न मिले। ऐसा ही पुलिस एडवाइजरी कंपनियों के मामले में भी कर चुकी है। कई कंपनियों में ठगी का शिकार हुए लोगों के मामले में 100 से अधिक लोगों के खिलाफ एक केस दर्ज किया गया था। इस मामले में भी अभी तक न तो आरोपी पकड़े गए न ही चालान पेश हुआ। मामला जांच में ही चल रहा है।
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