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    जिसके बूते कभी सरकार बनाई, उसी को लेकर पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी बोले- कांग्रेस ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ का दूसरा नाम है

  • July 29, 2020

    बंगलूरू । जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) नेता एचडी कुमारस्वामी ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की राष्ट्रव्यापी ‘लोकतंत्र बचाओ’ अभियान पर कहा कि कांग्रेस हॉर्स ट्रेडिंग का दूसरा नाम है। कांग्रेस जेडीएस के साथ कर्नाटक में इससे पहले सरकार में शामिल रह चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस राजनीतिक पार्टियों को बांटने और विधायकों को खरीदने में माहिर है और उसकी वजह से ही ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ शब्द इस्तेमाल में आया।

    कुमारस्वामी ने पूछा, ‘कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ देशव्यापी लोकतंत्र बचाओ अभियान शुरू किया है जो लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को गिराने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है। कांग्रेस ने क्या किया? राजस्थान में सरकार बनाने के लिए समर्थन देने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों को फुसला नहीं लिया। क्या यह खरीदारी नहीं है?’

    उन्होंने कहा कि उस पार्टी के विधायकों को अपनी तरफ लुभाना राजनीतिक धोखाधड़ी नहीं है, जिस पार्टी ने उन्हें सरकार में समर्थन दिया। क्या यह लोकतांत्रिक व्यवहार है? उन्होंने कांग्रेस से पूछा, ‘अगर आप समर्थन देने वाली एक जैसी विचार वाली पार्टी के विधायकों को छल से बांट रहे हैं तो आपको कौन समर्थन देगा? क्या यह गलतियां आपको नहीं दिख रही हैं?’

    कुमारस्वामी ने कांग्रेस को याद दिलाया कि पूर्व में पार्टी ने कर्नाटक में जेडीएस के विधायकों को भी बांटा है। उन्होंने कहा, ‘क्या उन्होंने बांटने की कोशिश नहीं की है? क्या यह वास्तविकता नहीं है कि सिर्फ एक राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक में जेडीएस के आठ विधायकों को खरीदा? क्या यह लोकतंत्र है?’ उन्होंने कहा कि दोनों ही पार्टियां खरीद-फरोख्त की अपराधी हैं। कर्नाटक में 2016 में राज्यसभा की सीट पर जेडीएस के आठ विधायकों ने पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ जाकर कांग्रेस को वोट दिया था।

    कुमारस्वामी ने कहा, ‘एस एम कृष्णा जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे तो क्या कांग्रेस ने हमारे विधायकों को खरीदने की कोशिश नहीं की थी। क्या कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में हमारे विधायकों को खरीद कर सरकार बनाने का षड्यंत्र नहीं रचा था। क्या कांग्रेस के पास इन सवालों के जवाब देने का नैतिक साहस है?’ उन्होंने कहा कि दल-बदल कानून प्रभावी नहीं है इसलिए ये लोकतंत्र विरोधी चीजें होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करना आवश्यक हो गया है कि जो दल बदल करें उन्हें अयोग्य ठहराने और पद से हटाने के अलावा उन्हें और उनके परिवार के सदस्य को कम से कम दो बार चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए।

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