जयपुर। राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच आज प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों को खारिज कर दिया गया। कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार की ओर से दो टूक लहजे में मंत्री हरीश चौधरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्यपाल, विधानसभा के काम-काज में दखल न दें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर हुई बैठक के बाद मीडिया के साथ बातचीत में मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि सरकार 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है, न कि 21 दिन का नोटिस जारी करने के बाद। बैठक में साफ तौर पर कहा गया कि विधानसभा सत्र बुलाना सरकार का हक है।
कैबिनेट बैठक कर गहलोत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसे राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा उठाई गई तीनों आपत्तियां मंजूर नहीं हैं। राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि गवर्नर की तीन बातों में से दो सरकार से संबंधित नहीं है। वहीं, 21 दिन का नोटिस देना सरकार का अधिकार है, राज्यपाल का नहीं। यह भी कहा गया कि विधानसभा बुलाना सरकार का हक है। राजस्व मंत्री ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप न करें। उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध करते हुए कहा कि सरकार का काम सरकार को और अध्यक्ष का काम अध्यक्ष को करने दें। मंत्री ने यह भी कहा कि गवर्नर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के अनुसार ही काम करें। सरकार के पास बहुमत है।
आपको बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद से शुरू हुआ सियासी संकट पिछले कुछ दिनों राजभवन बनाम सरकार में तब्दील हो गया है। सरकार के लगातार प्रस्ताव भेजने के बाद सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने की अनुमति दी। गवर्नर ने इसके लिए कुछ शर्तें भी रखी थीं। राज्यपाल ने सरकार को भेजे निर्देश में कहा था कि विधानसभा सत्र 21 दिनों का नोटिस देकर ही बुलाया जाए। विश्वासमत प्रस्ताव की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाए और इस दौरान कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले, इसका भी ध्यान रखा जाए।
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