भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की ओर से अपना जवाब पेश किया गया। इसमें साफ किया गया कि राज्य के निजी स्कूलों को फिलहाल सिर्फ ट्यूशन फीस लेने का आदेश दिया गया है। कोरोना काल में इसके अलावा अन्य तरह का कोई भी शुल्क वसूलना अनुचित होगा। इस संबंध में एक नहीं दो बार विधिवत आदेश जारी किए जा चुके हैं। इसके बावजूद यदि मनमानी की जा रही है, तो शिकायत मिलने पर ठोस कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष उक्त जवाब पेश किया गया। कोर्ट ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेने के साथ ही सीबीएसई सहित अन्य आवेदकों को नोटिस का जवाब पेश करने के लिए 10 अगस्त तक की मोहलत दे दी।
कक्षा एक से पांच तक ऑनलाइन क्लासेस पर प्रतिबंध
राज्य शासन की ओर से हाई कोर्ट में प्रस्तुत जवाब में यह भी स्पष्ट किया गया कि कोरोना काल में कक्षा एक से पांच तक ऑनलाइन क्लासेस पर प्रतिबंध लगाया गया है। लिहाजा, निजी स्कूलों को इस दिशा-निर्देश का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने पर कार्रवाई से इनकार नहीं किया जा सकता।
भारी भरकम फीस स्ट्रक्चर
जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि प्रदेश के कई निजी स्कूल ऑनलाइन कोचिंग के जरिए पढ़ाई संचालित कर रहे हैं। कोरोना काल में इसकी आड़ में भारी भरकम फीस स्ट्रक्चर तैयार कर अभिभावकों को लूटा जा रहा है। निजी स्कूल फीस वसूलने के चक्कर में मोबाइल फोन के जरिये छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए विवश कर रहे हैं। बावजूद इसके कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की रिपोट्र्स के अनुसार इस तरह का रवैया मासूमों की आंखों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यही नहीं मस्तिष्क पर भी बुरा असर पडऩे से इनकार नहीं किया जा सकता
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