भोपाल। वन विभाग द्वारा ग्राम बेंदी तहसील पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर में संरक्षित बैगा जनजाति समुदाय के 50 परिवार के पुस्तैनी कब्जे दखल की भूमि पर खड़ी धान की फसल नष्ट कर भूमि से बेदखल कर दिया गया है। केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा कई बार उक्त पुस्तैनी भूमि के पटटे देने के लिए विभाग को निर्देश दिए जा चुके हैं लेकिन शासन की बात को नजरअंदाज करते हुए अधिकारी आदेश नहीं मान रहे हैं। वहीं कुछ अधिकारियों द्वारा पटटा देने के एवज में रिश्वत की मांग की जा रही है।
बैगा आदिवासियों ने बताया गया कि 22 जुलाई 2020 को वन विभाग कार्यालय, पुष्पराजगढ़ के अधिकारियों द्वारा पट्टा देने के लिए रिश्वत की मांग की गई। रिश्वत की रकम नहीं होने पर 22 जुलाई 2020 को वनविभाग द्वारा वीट गार्ड, डिप्टी रेंजर, रेंजर तथाथ वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पूरे दलबल के साथ संरक्षित बैगा जनजातियों के पुश्तैनी कब्जे दखल भूमि पर लगे धान के फसल को मवेशियों से चराकर नष्ट कर दिया तथा वृक्षारोपण करने के लिए खेतों में गड्डे खुदवा दिए , साथ ही यह कहते हुए धमकी देने लगे कि आज के बाद दुबारा अपने भूमि पर वापस आए तो तुमको जेल के सलाखों के पीछे भिजवा देंगे तथा तुम्हारें उपर इतने मुकदमा लाद दिए जाएंगे कि तुम जीवन भर चक्कर काटते रहोगे। इस तरह की धमकी वन विभाग के मुखिया द्वारा दिया गया। वन विभाग द्वारा संरक्षित बैगा जनजातियों के फसल को नष्ट किए जाने , खेती की जमीन छीन लेने एवं उक्त धमकी से संरक्षित बैगा जनजाति के 50 परिवार के लोग काफी आहत हैं एवं डरे हुए हैं। उनके समक्ष आवास एवं जीवन की समस्या उत्पन्न हो गई है। मामले के मद्देनजर वन विभाग के दोषी अधिकारियों पर जांच कर अनुसूचित जाति – जनजाति ( अत्याचार निवारण ) अधिनियम 1989 के तहत एफआईआर करने , संरक्षित बैगा जनजाति के 50 परिवारों को उनकी उक्त कब्जे दखल की भूमि का पट्टा देने एवं धान फसल के नुकसान का मुआवजा देने का आदेश जारी करने की मांग की गई है। इसी के साथ वन विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।
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