नरसिंहपुर। पिछले 5 साल से क्षेत्र के किसानों का रूझान धान की फसल की ओर बढ़ा है पर इन दिनों बारिश न होने से किसानों की धान की फसल सूख रही है। नहरों में पानी नहीं आ रहा है। इससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की इस नहर के किनारे हजारों बीघे जमीन हैं, लेकिन नहर में पानी नहीं आने से परेशानी है, जबकि बरगी नहर से क्षेत्रीय किसानों ने नहर में पानी छोड़े जाने की मांग भी सिंचाई विभाग से की है।
दिखने लगे दरंगा
खेत में जहां नजर डालो वहा दरारें दिख रही है, ताजा तस्वीरें ग्राम अम्हेटा से आई है जहां बारिश नहीं होने की वजह से धान के खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। ग्राम अम्हेटा, जोबा, भुगवारा, बस्ती, मोहद, आमगांव बड़ा, नयाखेड़ा सहित दर्जनों क्षेत्र के किसान परेशान है। नहर भी इतनी घटिया क्वालिटी की बनी है कि देखते ही भ्रष्टाचार दिखाई देने लगता है किसानों के हितो की बात करने वाले नेताजी भी कभी फील्ड पर नहरों को देखने नहीं गये।
बढ़ी किसानों की मुश्किलें
पानी नहीं बरसने से फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो रही है। नहर में पानी नहीं आने से किसानों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं कि जिम्मेदार अधिकारियों से इसकी शिकायत कई बार की गई एग्रीमेन्ट के बाद भी इस नहर में पानी नहीं छोड़ा गया। सरकार किसानों के हित में केवल कोरी बयानबाजी कर रही है। कुछ किसानों ने अपने निजी पंपसेट से धान में पानी दे रहे हैं।
सुखाड़ की स्थिति
बारिश नहीं होने से सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिससे धान की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जो संपन्न किसान है। वह पानी पटा कर धान के फसल को बचान में लग गए हैं। कई किसान फसल को भगवान के भरोसे छोड़ दिए हैं। पानी पड़ा तो ठीक नहीं तो भगवान ही मालिक है। बढे़ लागत पर उपजाए गए धान की फसल को बाजार में बेचने पर लागत दाम निकालना भी मुश्किल हो जाता है। इन्हीं सब कारणों से खेती करना घाटे का सौदा बन गया है।
ग्रहण लगता दिख रहा
किसान बारिश के लिए आकाश को ताकते नजर आ रहे हैं। बारिश नहीं होने की वजह से धान के खेतों में दरार पड़ने लगे हैं। इस साल वर्षा पात लगभग शून्य है। कहा जाता है कि जिस वर्ष जितनी अच्छी बारिश उतनी ही अच्छी धान की फसल होती है। जाहिर सी बात है फसल अच्छी होगी तो उत्पादन भी अधिक होगा। अवर्षा से किसानों को अब चिंता सताने लगी है। जुलाई समाप्त हो गया है ऐसे में धान की फसल पर ग्रहण लगता दिख रहा है। एजेंसीी/हिस
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