भोपाल। देश और दुनिया सहित मध्यप्रदेश में भी अब तक के सबसे बड़े अदृश्य जानलेवा दुश्मन कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा है। कोरोना इंसानों को तो लील ही रहा है , वहीं कोरोना महामारी की चपेट में मध्य प्रदेश सहित देशभर की शिक्षण व्यवस्था भी आ गई है । पिछले 4 माह से मध्य प्रदेश सहित देश भर में शिक्षण संस्थाएं पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है । छात्रों की ना तो परीक्षाएं हो पा रही हैं और ना ही पढ़ाई, जो भी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है उससे ज्यादा और कुछ हो भी नहीं सकता। पूरे 70 दिनों तक मध्य प्रदेश भी लॉक डाउन था। अब अनलॉक टू के दौरान भी प्रदेश के कई जिलों में कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण दोबारा लॉक डाउन लागू करना पड़ा है। इस वजह से प्रदेश भर में ना तो स्कूल खुल पा रही हैं और ना ही कालेज। इसकी सबसे ज्यादा मार छात्र-छात्राओं पर पड़ी है । कॉलेज के फर्स्ट ईयर एवं सेकंड ईयर के छात्रों को तो जनरल प्रमोशन दिया जा चुका है , लेकिन ग्रेजुएशन कर रहे प्रदेशभर के कॉलेज छात्रों के फाइनल ईयर की परीक्षा लेना अनिवार्य है । फाइनल ईयर की परीक्षा सितंबर से पहले जरूरी है। इसके लिए अब प्रदेश की शिवराज सरकार ने एक नया फार्मूला अपनाया है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कॉलेज के फाइनल ईयर के छात्र आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा अब अपने अपने घरों में बैठ कर दे सकेंगे। सूत्रों ने बताया है कि छात्रों को घर बैठे प्रश्न ऑनलाइन आएंगे, जबकि उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका में दिए गए जवाब ऑफलाइन अपने जिले के ही निर्धारित किए गए परीक्षा केंद्र अर्थात सेंटर में जमा कराने होंगे। सूत्रों ने यह भी बताया है कि इसमें छात्रों द्वारा नकल करने की ज्यादा गुंजाइश है , इसलिए पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए फर्स्ट ईयर एवं सेकंड ईयर के अंकों के आधार पर उनकी योग्यता आंकी जाएगी और फिर उसी आधार पर रिजल्ट भी तैयार किया जाएगा। प्रदेश की शिवराज सरकार इस बारे में जल्द ही ऐलान कर सकती है।
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