भोपाल। श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि पर आज उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र व शिवयोग में नागपंचमी मनाई जा रही है। कोरोना महामारी के कारण इस बार भक्त नागदेवता के मंदिर पर जाकर मूर्ति पर दूध और सुंगध आदि अर्पित नहीं कर पा रहे हैं। वे घरों में ही पूजा-पाठ कर रहे हैं। पंचमी की तिथि आज दोपहर 12 बजकर 1 मिनट तक रही। नागपंचमी के अलावा प्रत्येक माह की पंचमी तिथि के देव नागदेवता ही होते हैं। नागपंचमी के दिन भक्त नागदेवता की पूजा आराधना करते हैं। भक्त नागदेवता के मंदिर पर पहुंचकर उन्हें दूध, सुंगध, इत्र, प्रसाद आदि अर्पित कर सभी ग्रह दोषों की शांति, सुख समृद्घि की कामना करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सभी मंदिरों को लगभग बंद किया गया है। इस दौरान मंदिर में केवल पुजारी ही पूजा आराधना कर रहे हैं। साथ ही मूर्ति को भी छूने से प्रशासन ने मना किया है। ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा के अनुसार नागपंचमी का ज्योतिष में काफी महत्व होता है। इस दिन जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प, पितृदोष, सहित अन्य दोष होते है, उनका निवारण भी होता है। नागदेवता की पूजा आराधना कर लोग अपने घर में ही कालसर्प, पितरदोष आदि दोषों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके लिए जातक को नागपंचमी के दिन नागदेव के दर्शन करना चाहिए।
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