भगवान शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के उपलक्ष्य में हरियाली तीज मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने शंकर जी को पति स्वरूप पाने के लिए 107 जन्म लिए थे। कठोर तप कर 108वें जन्म में शंकर जी ने आज ही के दिन पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। ऐसे में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को आने वाली हरियाली तीज पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए व्रत करती हैं। महिलाएं व्रत करती हैं और माता पार्वती उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अखंड सौभाग्य का आर्शीवाद देती हैं। हरियाली तीज का महत्व क्या होता है यह जानते हैं
हरियाली तीज मुख्यत: राजस्थान या पश्चिमी क्षेत्र में ज्यादा प्रचलित है। इस दिन लोग पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। इससे पितृ बेहद खुश हो जाते हैं। सावन में झूले झूलने की परंपरा का भी शुभारंभ आज से ही होता है। इस दिन महिलाएं शंकर-पार्वती की पूजा करती हैं। सोलह श्रृंगार कर अपने पति के लिए व्रत करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और हरे रंग की चूड़ी भी पहनती हैं।
हरियाली तीज पर महिलाएं पूजा के दौरान एक मंत्र का उच्चारण भी करती हैं जो निम्न है:
देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।
कामांश्च देहि मे।।
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
ध्यान रहे कि किसी भी मंत्र का उच्चारण जब तक सही ढंग से न किया जाए तब तक उसका फल नहीं मिलता है, ऐसे में ध्यान रखें कि मंत्र का उच्चारण एकदम सही होना चाहिए।
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