नई दिल्ली। देश में प्राइवेट ट्रेन चलाने के लिए आज रेलवे पहली प्री-बिड कॉन्फ्रेंस करने जा रहा है। माना जा रहा है कि 15 कंपनियां प्री-बिड कॉन्फ्रेंस में हिस्सा ले सकती हैं। रेल मंत्रालय का लक्ष्य है कि 31 जुलाई तक सभी सवालों के जवाब दे दिए जाएं। रेल मंत्रालय 12 अगस्त को एक और दूसरी प्री बिड मीटिंग करेगी, जिसके लिए प्राइवेट प्लेयर 7 अगस्त तक अपने सवाल मंत्रालय को भेज सकते हैं। रेल मंत्रालय के मुताबिक, देशभर के रेलवे नेटवर्क को 12 क्लस्टर में बांटा गया है। इन्हीं में 109 जोड़ी प्राइवेट ट्रेनें चलाई जाएंगी। यह भारतीय रेलवे नेटवर्क पर पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के लिए निजी निवेश की पहल है।
12 अगस्त को दूसरी प्री-बिड कांफ्रेंस होगी- रेल मंत्रालय की ओर से जारी प्रोजेक्ट इंफॉर्मेशन मेमोरेंडम में मुताबिक, 12 अगस्त को दूसरी Pre-Bid कॉन्फ्रेंस की जाएगी। कंपनियां निजी ट्रेनें चलाने के लिए 8 सितंबर तक आवेदन कर सकती हैं। इसके बाद 8 नवंबर तक कंपनियों को शार्ट लिस्ट किया जाएगा। फिर शार्ट लिस्ट की गई कंपनियां बोली में हिस्सा लेंगी। उम्मीद की जा रही है कि परियोजना में करीब 30,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश होगा।
निजी कंपनी भारतीय रेलवे को करेगी कई तरह के भुगतान- निजी कंपनी भारतीय रेलवे को निर्धारित ढुलाई शुल्क, वास्तविक खपत के अनुसार ऊर्जा शुल्क और पारदर्शी राजस्व प्रक्रिया के जरिये निर्धारित सकल राजस्व में हिस्सेदारी का भुगतान करेगी। निजी कंपनी की ओर से चलाई जाने वाली गाड़ियों के प्रदर्शन का आकलन समय की पाबंदी, विश्वसनीयता, रेलगाड़ियों के रखरखाव के आधार पर होगा। निजी क्षेत्र की ओर से संचालित ट्रेनों के लिए भारतीय रेलवे सिर्फ ड्राइवर और गार्ड उपलब्ध कराएगा।
प्राइवेट कंपनियों के लिए परियोजना की रियायत अवधि 35 साल होगी- निजी भागदीरी में चलाई जाने वाली इन ट्रेनों की रफ्तार 160 किमी प्रति घंटा होने से यात्रा के समय में काफी बचत होगी। इन ट्रेनों की रफ्तार की तुलना उसी रूट पर चलने वाली भारतीय रेलवे की ओर से संचालित किसी भी सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन से होगी। रेल मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, इन ट्रेनों के जरिये यात्रियों के मुकाबले ट्रेनों की कम संख्या की भरपाई भी हो जाएगी। निजी क्षेत्र के लिए इस परियोजना की रियायत अवधि 35 साल होगी।
160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी 16 डिब्बे की निजी ट्रेनें
सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, इस पहल का मकसद मॉडर्न टेक्नोलॉजी रोलिंग स्टॉक को रेलवे नेटवर्क में पेश करने के साथ ही कम रखरखाव, ज्यादा रफ्तार, रोजगार सृजन को बढ़ावा देना, ज्यादा सुरक्षा देना, यात्रियों को विश्वस्तरीय यात्रा का अनुभव कराना है। इसमें बताया गया है कि हर निजी ट्रेन में कम से कम 16 डिब्बे होंगे। ये ट्रेनें अधिकतम 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी। इन ट्रेनों का रोलिंग स्टॉक निजी कंपनी खरीदेगी। मेंटेनेंस की जिम्मदारी भी उसी कंपनी की होगी। अधिकतर ट्रेनें मेक इन इंडिया के तहत भारत में बनाई जाएंगी। निजी कंपनी गाड़ियों के वित्तपोषण, खरीद, संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होगी।
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