उज्जैन। सौ दिनों के लॉकडाऊन में कोरोना महामारी से जो नुकसान हुआ वो तो हुआ लेकिन अब लॉकडाऊन खुलने के बाद काम धंधा नहीं है तथा कुछ लोगों की जान पर बन आई है। ब्याज वाले तथा हुंडी वाले लोगों को पैसा लौटाने के लिए परेशान कर रहे हैं। ऐसे में दबाव में आकर कुछ लोगों ने आत्महत्या भी कर ली।
22 मार्च से कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाऊन हुआ था और यह 1 जून तक लगातार चला और इसके बाद अनलॉक में कई दिनों तक आर्थिक गतिविधियाँ संचालित नहीं हो पाई। करीब सौ दिनों तक बंद रहने के कारण कई लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई तथा कुछ का तो कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो गए हैं, ऐसी स्थिति में लोगों की मानसिक स्थित खराब हो चुकी है और कई लोग तनाव में आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। कई लोगों ने ब्याजवालों और हुंडी वालों से लाखों रुपए कर्ज लेकर कारोबार किया था और इस बंद के कारण के कारण उनका धंधा पानी डूब गया है, ऐसे में कर्ज वाले और हुंडी वाले अपना रुपया वापस करने के लिए तकादा कर दबाव बनाने लगे हैं। कर्ज नहीं चुका पाने के कारण कई लोग आत्महत्या कर चुके हैं। लॉकडाऊन खुलने के बाद एकाएक आत्महत्याओं के मामले बढऩा चिंताजनक बना हुआ है। पिछले डेढ़ माह की अवधि में आधा दर्जन से अधिक लोग आत्महत्या कर चुके हैं जिनमें एक ढाबा रोड के मावा व्यापारी भी हैं जिन्होंने एक साल पहले मिठाई की बड़ी दुकान खोली थी और उसमें उन्हें काफी घाटा हुआ था। ऐसे ही कर्जदारों से दुखी होकर कई लोग आत्महत्या कर चुके हैं।
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