आज है ख्यात संगीतकार मदन मोहन की पुण्यतिथि
संगीतकार रहे मदन मोहन पढ़ाई के बाद परिवार के चाहें अनुसार सेना में भर्ती हो गए। लेकिन उनके दिल में संगीत बसा हुआ था आखिर दिल की सूनी और मुंबई आ गए और ऐसी-ऐसी धुनों की रचना की जो आज भी लाखों संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करती है।
संगीत सम्राट नौशाद हिन्दी फिल्मों के मशहूर संगीतकार मदन मोहन के गीत आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे, दिल की ऐ धड़कन ठहर जा मिल गयी मंजिल मुझेसे इस कदर प्रभावित हुये थे कि उन्होंने इस धुन के बदले अपने संगीत का पूरा खजाना लुटा देने की इच्छा जाहिर कर दी थी। मदन मोहन कोहली का निधन आज ही के दिन 14 जुलाई 1975 को हुआ था उनके पिता राय बहादुर चुन्नी लाल फिल्म व्यवसाय से जुड़े हुये थे और बाम्बे टाकीज और फिलिम्सतान जैसे बडे फिल्म स्टूडियो में साझीदार थे। घर मे फिल्मी माहौल होने के कारण मदन मोहन भी फिल्मों में काम करके बड़ा नाम करना चाहते थे लेकिन अपने पिता के कहने पर उन्होंने सेना मे भर्ती होने का फैसला ले लिया और देहरादून में नौकरी शुरू कर दी। कुछ दिनों बाद उनका तबादला दिल्ली हो गया। लेकिन कुछ समय के बाद उनका मन सेना की नौकरी से ऊब गया और वह नौकरी छोड़ लखनऊ आ गये और आकाशवाणी के लिये काम करने लगे। आकाशवाणी में उनकी मुलाकात संगीत जगत से जुडे उस्ताद फैयाज खान, उस्ताद अली अकबर खान, बेगम अख्तर और तलत महमूद जैसी जानी मानी हस्तियों से हुई जिनसे वह काफी प्रभावित हुए और उनका रूझान संगीत की ओर हो गया। संगीतकार के रूप में 1950 में प्रदर्शित फिल्म आंखें के जरिये वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने मे सफल हुए। वर्ष 1970 मे प्रदर्शित फिल्म दस्तक के लिये मदन मोहन सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये गये। उन्होंने अपने ढाई दशक लंबे सिने कैरियर में लगभग 100 फिल्मों के लिये संगीत दिया। 1975 में ही उनकी मौसम और लैला मजनू जैसी फिल्में प्रदर्शित हुयी जिनके संगीत का जादू आज भी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करता है।
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