नई दिल्ली। सचिन पायलट को मनाने के लिए कांग्रेस में कोशिशें जारी हैं। सीनियर लीडर्स लगातार कोशिश कर रहे हैं कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर कोई संकट न आए। मगर पार्टी का एक धड़ा यह भी मान रहा है कि पायलट के नखरे दरअसल समय काटने की एक जुगत है। ताकि बागी विधायकों की लिस्ट और लंबी की जा सके। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि भले ही पायलट के पास पर्याप्त संख्या-बल न हो, मगर वह बीजेपी की मदद से गहलोत के खिलाफ खेमाबंदी कर सकते हैं। ऐसा कर वह राजनीतिक संकट के बीच बागी विधायकों की संख्या बढ़ाते रहेंगे। हालांकि पायलट खेमे ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया। वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने मीडिया से कहा कि उनका बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है। चौधरी ने कहा कि वे अपनी डिमांड पर अडिग हैं और जयपुर में नेतृत्व परिवर्तन ‘कांग्रेस के हित’ में है।
हालांकि पायलट ने साफ किया है कि वह विकल्पों को खारिज नहीं कर रहे। मगर कांग्रेस में कुछ को लग रहा है कि शायद पायलट की कुछ ज्यादा ही मनुहार की गई। पायलट इन सबसे परेशान नहीं। उनके सूत्र एक आरटीआई याचिका की तरफ इशारा करते हैं जिसमें दिखाया गया कि सीएम से जुड़ी पब्लिसिटी और विज्ञापनों पर 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि डेप्युटी सीएम के लिए एक पैसा तक नहीं दिया गया। पायलट के एक करीबी ने कहा, “यह दिखाता है कि वर्तमान नेतृत्व में कैसे चीजें हो रही हैं।” कांग्रेस सूत्रों का दावा है कि पायलट ने भले ही 30 विधायकों के साथ होने का दावा किया है, मगर उनके पास हुए 21 ही हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पायलट बीजेपी के साथ डील कर चुके हैं।
सोमवार को विधायक दल की बैठक के बाद सीएम अशोक गहलोत ने ‘विजय’ का दावा किया। इसे डेप्युटी सीएम पायलट ने खारिज कर दिया और कहा कि उनके पास बहुमत नहीं हैं। पायलट ने विधायक दल की बैठक के नतीजे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह अपनी बात पर अड़े हुए हैं और बागी तेवर अपनाने के बाद समझौते को तैयार नहीं। पायलट और उनके खेमे के विधायक उस बैठक में शामिल नहीं हुए। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अहमद पटेल, पी चिंदबरम और केसी वेणुगोपाल जैसे वरिष्ठ नेताओं ने पायलट से बातकर उनसे जयपुर लौटने को कहा। लेकिन पायलट ने साफ कर दिया कि उन्हें सारे जवाब चाहिए।
अगर पायलट बीजेपी में शामिल नहीं होते तो उनके पास एक क्षेत्रीय पार्टी बनाने का विकल्प भी है। या फिर वे कांग्रेस में भी बने रहे सकते हैं। अगर वे कांग्रेस में रहते हैं तो शायद उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी में जगह दी जा सकती है मगर यह भी हो सकता है कि उन्हें राजस्थान से बाहर जाना पड़े। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी नेतृत्व पर इस बात को ध्यान में रखने का दबाव है कि पायलट ने बीजेपी के साथ गलबहियां कीं और सरकार गिराने की कोशिश की। हालांकि पार्टी अपने बड़े चेहरों को खोना नहीं चाहती। वह पहले ही कई नेताओं को पिछले कुछ सालों में बागी होते देख चुकी है।
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