नई दिल्ली। तुर्की के इस्तांबुल में अदभुत नक्काशी और वास्तुकला से सुज्जजित इमारत हाजिया सोफिया को फिर से मुसलमानों के इबादत गृह के रूप में खोल दिया गया है। तुर्की के राष्ट्रपति इर्दोगेन ने अदालत के एक फैसले के बाद 10 जुलाई को इसे नमाज के लिए खोलने का हुक्म जारी कर दिया।
हाजिया सोफिया की कहानी अदभुत है। चर्च से मस्जिद, मस्जिद से म्यूजियम और म्यूजियम से फिर मस्जिद बनने की यह कहानी 1500 साल से भी पुरानी है। आशंका है कि इस इमारत को फिर से मस्जिद बनाने के तुर्की के फैसले के कारण इसाई और मुस्लिम देशों के बीच दरारें और बढ़ सकती हैं ।
हाजिया सोफिया का निर्माण मूल रूप से ग्रीक आर्थोंडोक्स क्रिश्चियन चर्च ने कराया था, जो वर्षों तक इस्तांबुल में एक सांस्कृतिक केंद्र बना रहा। इसे सबसे पहले बाइजनटाइन शासक काॅनस्टेनटियस ने 360 ईस्वी में बनवाया। इस हाजिया सोफिया इमारत पर कई हमले हुए और कई बार इसका जीर्णोधार कराया गया। यूरोप में यह उसी तरह विख्यात है जैसे पेरिस का एफिल टावर या एथेंस का पार्थेनन।
लगभग 900 साल तक चर्च और इसाई गतिविधियों का केंद्र हाजिया सोफिया बना रहा। उसके बाद तुर्की को 1453 ईस्वी में ओटोमैंस वंश ने जीत लिया और हाजिया सोफिया को मस्जिद में बदल दिया गया। चूंकि ओटोमैंस का मूल मज़हब इस्लाम था, इसलिए इस हाजिया सोफिया को भी पूरी तरह इस्लामिक वास्तुकला के जरिए मस्जिद में बदल दिया गया। तुर्की के सुल्तान अब्दुलमेकिद ने 1847 से 1849 के दौरान हाजिया सोफिया में व्यापक बदलाव करवाया।
स्विस वास्तुविदों फोसाती ब्रदर्स की देखरेख में सुल्तान के लिए अलग इबादतगाह भी बनाया गया। मेहराबों पर नए सिरे से नक्काशी कराई गई और गुंबद को सोने की चादर से मढ़ दिया गया। ओटोमैंस साम्राज्य के पतन के लगभग 100 साल बाद कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में 1935 तुर्की रिपब्लिक का गठन हुआ। कमाल अतातुर्क एक बहुत बड़े सुधारवादी नेता थे। उन्होंने ही हाजिया सोफिया को मस्जिद से एक म्यूजियम में बदलने का फैसला किया। अतातुर्क का मानना था कि यह हाजिया सोफिया तुर्की के इतिहास का धरोहर है और इसका इस्तेमाल इसी रूप में होना चाहिए।
2013 में तुर्की के ही कुछ इस्लामिक मज़हबी नेताओं ने हाजिया सोफिया को म्यूजियम के बजाय मस्जिद में वापस बदलने का एक मुकदमा दायर किया। उनका तर्क था कि 1935 में इसे म्यूजियम में बदलने का फैसला सही नहीं था। स्थानीय कोर्ट ने मॉडर्न तुर्की के संस्थापक के उस फैसले को एक पल में बदल दिया और हाजिया सोफिया को फिर से मस्जिद के रूप में इस्तेमाल की इजाज़त दे दी। अपने इस्लामिक रूख के लिए जाने जाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति इर्डोगैन ने आनन फानन में हाजिया सोफिया का प्रबंधन मज़हबी मामले के निदेशालय को सौंप दिया।
तुर्की के इस फैसले पर क्रिश्चियन वर्ल्ड ने काफी मायूसी दिखाई है। अमेरिका, ग्रीस और रूस के चर्च लीडर ने इसे म्यूजियम ही बनाए रखने का अनुरोध किया है। यहां तक कि अमेरिका के विदेश माइक पम्पियो ने भी तुर्की से यही अनुरोध किया। लेकिन राष्ट्रपति इर्डोगैन ने इसे अनसुना कर दिया है। तुर्की के राष्ट्रपति को लगता है कि उनके इस फैसले से इस्लामिक वर्ल्ड में उनकी इज़्ज़त और बढ़ जाएगी।