उज्जैन। नगर निगम की सीमा में फेरी लगाकर तथा ठेले पर सामान बेचने वालों की संख्या साल 2012 में 2200 थी, लेकिन 10 हजार के लोन की योजना शुरु होने के बाद अब यह बढक़र 18 हजार हो गई है। 10 हजार लोग लोन के लिए पोर्टल पर आवेदन कर चुके है। इनमें से साढ़े 4 हजार आवेदकों का सत्यापन हो चुका है। इसके साथ ही नाई, टेलर, बढ़ई सहित अन्य काम करने वाले लोगों को फिर से पोर्टल पर पंजीकृत करने की प्रक्रिया शुरु हो गई है।
कोरोना के कारण अन्य व्यवसाईयों की तरह फेरी लगाकर तथा ठेले पर सामान बेचने वालों के अलावा छोटे व्यवसाईयों नाई, टेलर, बढ़ई आदि को भी प्रदेश सरकार ने 10 हजार का लोन नगर निगम के माध्यम से देने की योजना शुरू की है। यह योजना शुरू होते ही नगर निगम में फेरी वाले, ठेले वाले से लेकर नाई, टेलर, बढ़ई आदि काम करने वाले लोगों की बाढ़ सी आ गई है। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 8 साल पहले तक नगर निगम में उक्त कार्य करने वाले करीब 2200 लोग पंजीकृत थे, लेकिन जब से यह योजना शुरू हो गई है अभी तक 18 हजार लोग खुद को उक्त कार्य करने वाले बताकर आवेदन दे चुके है। हालांकि इतनी बड़ी तादात में आवेदक बढऩे के बाद नगर निगम का राजस्व और अन्य कर विभाग सतर्क हो गया है तथा इसी विभाग की टीम अपने यहां रजिस्टर्ड ऐसे व्यवसाईयों या काम करने वालों का सत्यापन करने में जुट गई है। अभी तक पोर्टल पर 10 हजार लोगों का सत्यापन हो चुका है। इनमें से 4 हजार 500 पात्र आवेदक पाएं गए है। अभी तक 121 हितग्राहियों को 10 हजार का लोन भी मिल चुका है। इधर नए आवेदकों की पोर्टल पर तादात बढऩे के बाद एक बार फिर नाई, टेलर, बढ़ई आदि छोटे व्यवसाय करने वाले लोगों का ऑनलाईन पंजीयन शुरू कर दिया है। पंजीयन के बाद यह लोग भी आवेदन कर सकेंगे और 10 हजार का लोन ले सकेंगे। लॉकडाउन क कारण ऐसे छोटे व्यवसाईयों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। कई व्यवसाईयों पर दुकान का किराया चढ़ गया है। लॉकडाउन में पास की पूंजी भी खत्म हो चुकी है। अब लोन ही सहारा रह गया है।
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