इन्दौर। जंगलों से पकड़े जा रहे तेंदुओं को झू में रखे जाने के बाद वहां जगह की कमी पडऩे लगी है। अब झू के अधिकारियों ने वन विभाग को कहा है कि पहले से पकड़े गए तेंदुओं को जंगल में छोड़ा जाए, अन्यथा नए तेंदुओं को झू में नहीं रख सकेगा।
पिछले तीन-चार महीने के दौरान देवास, धार, सेंधवा और घाटाबिल्लौद क्षेत्र से वन विभाग की टीमों ने चार तेंदुओं को पकड़ा था। इन्हें घायल होने पर झू में इलाज के लिए लाया गया था, तभी से वे प्राणी संग्रहालय में हैं और उनके लिए चार अलग-अलग पिंजरों की व्यवस्था की गई है। झू में चार से पांच पिंजरे खाली रखे जाते थे, जो अब तेंदुओं को लाए जाने के बाद पूरी तरह भर गए हैं। कल भी तेंदुओं के संघर्ष में घायल एक तेंदुए को गंभीर हालत में वन विभाग की टीम प्राणी संग्रहालय लेकर पहुंची थी, जहां देर रात को उसका ऑपरेशन किया गया। झू के प्रभारी अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक वन विभाग द्वारा पकड़े गए चार तेंदुए पहले से रखे गए हैं और कल फिर एक तेंदुआ लाया गया। उनका कहना है कि पिंजरों की कमी के चलते अब तेंदुओं को झू में रखा जाना संभव नहीं है, क्योंकि जू के पास खुद के दो तेंदुए पहले से हैं और इन तेंदुओं को जंगल में छोड़े जाने के लिए कई बार वन विभाग को पत्र लिखे जा चुके हैं। अब झू के अधिकारियों ने वन विभाग के अफसरों को स्पष्ट कर दिया है कि वे पहले पुराने तेंदुओं को झू में छोड़ेंगे, उसके बाद ही नए को उपचार के लिए अथवा रखने पर सहमति हो सकेगी।
पांच घंटे तड़पता रहा घायल तेंदुआ
कल रात कम्पैल के नयापुरा गांव में वर्चस्व की लड़ाई में तेंदुओं में संघर्ष हो गया और वे काफी देर तक एक-दूसरे पर हमला करते रहे। दोनों तेंदुओं में से एक गंभीर रूप से घायल होकर सड़क किनारे तड़पता रहा। वहां से गुजर रहे नयापुरा के कुछ लोगों ने वन विभाग के अधिकारियों को फोन लगाकर सूचना दी। इस बीच कई घंटे बीत गए और वन विभाग की टीम नहीं पहुंची। क्षेत्रीय नागरिक रोहिताश पांडे के मुताबिक घायल तेंदुआ सड़क किनारे तड़पता रहा और वन विभाग के अफसरों को बार-बार फोन लगाए जाते रहे। घटना के पांच घंटे बाद वन विभाग के अधिकारी पहुंचे और तेंदुए को रेस्क्यू कर जू में लाया गया।
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