जिनेवा । डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। वास्तव में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों द्वारा हवा से कोरोना फैलने के खुलासे पर चौतरफा घिरने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को यह नई गाइडलाइन जारी करनी पड़ी है।
इसके बाद अब डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इलाज के दौरान उन अस्पतालों में वायरस फैलने की आशंका अधिक है, जिन अस्पतालों में वेंटिलेशन यानी हवा की आवाजाही की व्यवस्था नहीं है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इलाज के दौरान बहुत छोटे-छोटे ड्रॉपलेट्स एरोसोल्स के रूप में हवा में मौजूद रह सकते हैं। खासतौर पर अस्पताल परिसर के ऐसे स्थानों में, जहां हवा आने-जाने की उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे स्थानों पर वायरस घंटों रह सकता है। यहां से गुजरने वाले लोगों के इसकी चपेट में आने का खतरा अधिक है।
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एडवाइजरी है कि संक्रमण से बचाव के लिए अस्पताल परिसर जाने वाले लोगों के साथ स्वास्थ्यकर्मियों को अपना विशेष ख्याल रखना होगा। मास्क पहन कर रखें और हाथों को समय-समय पर धोते रहें। आपस में कम से कम तीन फुट की दूरी रखें। भीड़भाड़ वाले और सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें। घर में वेंटिलेशन का पूरा ख्याल रखें। कहीं बाहर जा रहे हैं तो हाथों को समय-समय पर सैनिटाइज करें, चेहरा न छुएं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार व्यक्ति के भतीर लक्षण आने के एक से तीन दिन के भीतर वायरस के आरएनए की पहचान संभव है। आरटी-पीसीआर जांच से लक्षण के पहले तीन संक्रमण का स्तर पता चल सकता है। गंभीर रूप से संक्रमित मरीज में वायरस दो सप्ताह से अधिक समय तक भी रह सकता है। इसी के साथ उसने यह भी साफ किया है कि किसी व्यक्ति में वायरल आरएनए मिलने का मतलब ये नहीं कि वो संक्रमित है और दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved