पोहरी। 2018 के चुनाव में वोट हमें ज्यादा मिले लेकिन कुछ सीटें ज्यादा मिलने पर एक उद्योगपति के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि खुद उस सरकार के मंत्रियों ने कहा है कि कमलनाथ नाम के मुख्यमंत्री थे, सरकार पर्दे के पीछे से दिग्विजय सिंह चला रहे थे। कमलनाथ तो सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे। शिवराज सरकार के समय में पन्ना में एग्रीकल्चर कॉलेज की स्वीकृति हुई, लेकिन संयोग से तभी कांग्रेस की सरकार बन गई। मुझे यह बताते हुए दुख होता है कि कमलनाथ इस एग्रीकल्चर कॉलेज को पन्ना से छिंदवाड़ा ले गए। आज प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि क्या कमलनाथ सिर्फ छिंदवाड़ा के मुख्यमंत्री थे? बाकी प्रदेश से आपको कोई लेना देना नहीं था ? यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने शुक्रवार को पोहरी विधानसभा की वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कही। रैली को केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि चुनाव की बेला में मुझे 2003 के पहले के मध्यप्रदेश की दुरावस्था याद आ रही है। मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश को बर्बाद कर दिया था। ना सड़कें थी, ना बिजली और ना पानी उपलब्ध था। प्रदेश में इस हद तक अराजकता पैदा हो गई थी जैसी कभी मगध राज्य में हुआ करती थी। प्रदेश को इस दुरावस्था पर लोगों ने मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नाम ही मिस्टर बंटाधार रख दिया था।
हमारी नेता सुश्री उमा भारती जी और पार्टी नेतृत्व ने यह तय किया कि मध्यप्रदेश में अब यह दुरावस्था नहीं चलेगी। उन्होंने संकल्प लिया और मिस्टर बंटाधार को जमीन पर उतार दिया। इसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने प्रदेश को दुरावस्था से बाहर निकाला। शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी उपलब्ध कराया और विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया। मिस्टर बंटाधार के शासन में जहां सिर्फ 07 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती थी, उस सिंचित रकबे को शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने 40 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा दिया। किसानों को जब बिजली पानी मिला तो उन्होंने अपनी मेहनत से इस प्रदेश को 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड दिलाया।
उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में गरीब कल्याण के लिए कई योजनाएं बनाई। वहीं, कमलनाथ की 15 महीने की सरकार ने कर्ज माफी के नाम पर किसानों से छल किया। कर्ज माफी के झूठे प्रमाण पत्र दे दिए। बेरोजगारी भत्ते के नाम पर नौजवानों से छल किया। कन्यादान योजना के नाम पर भांजियों से छल किया। और तो और प्रदेश के गरीबों से छल करते हुए इस सरकार ने वे 2 लाख 45 हजार प्रधानमंत्री आवास वापस कर दिए जो मध्यप्रदेश के लिए स्वीकृत हुए थे। इस सरकार के पास आईफा अवार्ड के आयोजन के लिए, हीरो-हीरोइनों को बुलाने के लिए तो पैसा था, लेकिन गरीबों के सिर पर छत देने और कोरोना से मुकाबले के लिए पैसे की कमी का रोना रोती रही।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को प्रदेश के रीवा में जिस 750 मेगावाट क्षमता वाले सोलर पावर प्लांट का लोकार्पण किया है वह मध्यप्रदेश की जनता को एक तोहफा है।
उन्होंने कहा कि आने वाला चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं है। यह हार और जीत का भी चुनाव नहीं है, बल्कि यह चुनाव निर्णय करने का चुनाव है। इस चुनाव में जहां जनता को यह तय करना है कि वह 15 महीने वाली कांग्रेस की बंटाढार सरकार चाहती है या 15 सालों तक प्रदेश का विकास करने वाली भाजपा की सरकार। जनता को यह बताना है कि वह शिवराज सिंह चौहान जैसा संवेदनशील मुख्यमंत्री चाहती है, या दिग्विजय और कमलनाथ की झूठ बोलने वाली, छल करने वाली जोड़ी चाहती है। वहीं, इस चुनाव में हमारे कार्यकर्ताओं को कमलनाथ की उस चुनौती का जवाब भी देना है जो उन्होंने हमारे संगठन को दी है। शर्मा ने कहा कि सिंधिया जी और उनके साथियों के पार्टी में आने से हमारी ताकत बढ़ी है।
रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि यह चुनाव सिर्फ पोहरी का चुनाव नहीं है, यह सिर्फ विधायक बनाने का चुनाव भी नहीं है। यह एक धर्म युद्ध है और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश का इतिहास रहा है कि यहां स्थाई सरकारें रही है। इस चुनाव में कार्यकर्ता विजय का संकल्प लें। यह विजय मध्यप्रदेश सरकार को स्थायित्व देगी। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं का सम्मान करने वाली पार्टी है। यहां कार्यकर्ता ही उसकी ताकत हैं। यही ताकत संगठन की ताकत है और विजय का मंत्र है।
पटेल ने कहा कि राष्ट्र की एकता को लेकर हमारे मनीषियों ने जो चिंतन किया था, उसे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आगे बढ़ाया। देश की एकता और अखंडता के लिए देश में जो सर्वप्रथम बलिदान हुआ है, वह डॉक्टर मुखर्जी का बलिदान है। डॉ मुखर्जी ने अपना सर्वस्व राष्ट्रवाद के विचार को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि जो हमारे विचारों के लिए हमारे पास आता है,उसे स्वीकार करना हमारी जिम्मेदारी है।
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