उज्जैन। सिंहस्थ के दौरान लाखों की राशि खर्च कर कायाकल्प किए गए विष्णु सागर के सौंदर्यीकरण को अब धीरे-धीरे अनदेखी का ग्रहण लगने लगा है। बीते कुछ महीनों में विष्णु सागर की हालत दयनीय हो गई है। यहाँ पानी में फैल रही गंदगी के कारण मछलियाँ भी मर गई हैं। कई महीनों से यहाँ का फव्वारा भी बंद पड़ा हुआ है। सागर के चारों ओर बनाई गई लाल पत्थर की सीढिय़ाँ भी टूटने लगी हैं।
सिंहस्थ के वक्त शहर के कई बगीचों का सौंदर्यीकरण नगर निगम ने करोड़ों की राशि खर्च कर कराया था। निगम सभापति सोनू गेहलोत ने विशेष रूचि लेते हुए अपने गृह वार्ड में राम जनार्दन मंदिर के समीप स्थित विष्णु सागर के सौंदर्यीकरण को बढ़ाने का काम किया था। इसके लिए सबसे पहले विष्णु सागर का जन आंदोलन चलाकर गहरीकरण किया गया था। उसके बाद यहाँ चारों ओर पाथवे बनाया गया था। सुंदर पेड़ लगवाए गए थे। आसपास सीढिय़ों पर लाल पत्थर लगवाए गए थे। इतना ही नहीं यहाँ नौका विहार की भी व्यवस्था की गई थी। विष्णु सागर की सुंदरता को और निखारने के लिए यहाँ फव्वारे भी लगाए गए थे। तभी से बाहर से आने वाले लोग और शहरवासी इस स्थान पर बड़ी संख्या में रोज आते-जाते हैं। कोरोना काल में शहर के अन्य 200 से ज्यादा बगीचों के साथ-साथ विष्णु सागर में प्रवेश पर भी प्रतिबंध था लेकिन अनलॉक के बाद अन्य बगीचों की तरह इसे भी खोल दिया गया था। यहाँ नियमित आने वाले लोगों का कहना है कि पिछले कई महीनों से नगर निगम ने विष्णु सागर के अंदर सफाई पर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से पानी पूरी तरह गंदा हो गया है और मछलियाँ भी मर गई हैं। इसके बाद भी इसकी सफाई नहीं हो रही और चारों ओर बदबू फैल रही है। वैसे ही कोरोना संक्रमण का खतरा है, लोग अगर इस स्थिति में यहाँ भ्रमण के लिए आएँगे तो और बीमार हो जाएँगे। इसके अलावा विष्णु सागर के चारों ओर बनी सीढिय़ों पर लगे लाल पत्थर भी कई जगह से टूट गए हैं और गायब हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही महापौर, निगम सभापति और अन्य जनप्रतिनिधियों ने इंदिरानगर स्थित गंधर्व तालाब को 2 करोड़ से ज्यादा के सौंदर्यीकरण कार्य का भूमिपूजन किया है। दूसरी ओर पहले से करोड़ों खर्च कर तैयार किए गए विष्णु सागर की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
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