अब तो सिंधिया बनाएंगे मेंदोला को मंत्री
रमेश मेंदोला इस बार भले ही मंत्री नहीं बन पाए हों, लेकिन अभी उनके लिए संभावनाएं भी खत्म नहीं हुईं। मेंदोला भी इसे अच्छे से समझते हैं। यही कारण है कि जब भोपाल में नए मंत्री और उनके समर्थक जश्न मना रहे थे, तब मेंदोला इंदौर में महिला कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर सांवेर उपचुनाव को लेकर टिप्स दे रहे थे। उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है और सांवेर का नतीजा इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। हो सकता है तब ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री पद के लिए मेंदोला का नाम आगे बढ़ाएं।
इंदौर के थानों में गृहमंत्री की दिलचस्पी
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के नोटशीट लिखने के बाद दो लिस्ट निकल गईं, लेकिन उनकी पसंद का अधिकारी सीएसपी जूनी इंदौर के पद पर काबिज नहीं हो पाया है। दरअसल मंत्रीजी अपने पसंदीदा अधिकारी को सीएसपी जूनी इंदौर बनवाना चाहते थे और इसी कारण उन्होंने यहां नियुक्ति के लिए पहुंची तमाम अनुशंसाओं को दरकिनार कर दिया। लेकिन बाद में पता चला कि जूनी इंदौर सीएसपी ने कहीं से ज्यादा वजन रखवा दिया और गृहमंत्री ने अपने पसंदीदा अधिकारी को विजय नगर की ओर रुख करने के लिए कहा।
महावत बने शेखावत
भंवरसिंह शेखावत जब बदनावर विधानसभा क्षेत्र में कैलाश विजयवर्गीय की सक्रियता के बाद मुखर हुए तो भाजपा के प्रदेश नेतृत्व की ओर से यह प्रचारित हुआ कि शेखावत को भोपाल तलब कर पूछताछ की जाएगी। उन्हें एक नोटिस भी भेजा जा रहा है। नोटिस या बुलावा तो अभी पहुंचा नहीं, पर इसका इंतजार शेखावत को अभी भी है। वे तो भोपाल में पार्टी के दिग्गजों के साथ ही मीडिया के सामने भी अपनी भड़ास निकालने का इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल तो उन्होंने इंदौर में उषा ठाकुर के सिर पर हाथ रखकर एक संकेत तो दे ही दिया है।
कसेरा को गंवा देंगी इंदौर कमिश्नर
कोरोना काल में भी इंदौर को सफाई के मामले में अव्वल रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाले रजनीश कसेरा इन दिनों बड़े परेशान हैं। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन जैसे ही नगर निगम से आशीष सिंह की विदाई हुई और प्रतिभा पाल ने मोर्चा संभाला, कसेरा का वजन एकाएक कम कर दिया गया। अब वे नगर निगम में बेगाने से हो गए हैं। खबर यह है कि अब वे महाकाल की नगरी उज्जैन में किसी अहम भूमिका में दिखाई देंगे। उज्जैन कलेक्टर आशीष सिंह के साथ कसेरा का तालमेल बहुत अच्छा है।
मोघे की मदद… सिंधिया का हाथ
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भोपाल के भाजपा कार्यालय में कृष्णमुरारी मोघे का हाथ पकड़कर उन्हें मंचासीन करवाया तो मौके के मीडिया मैनेजर की पौ-बारह हो गई। उन्होंने कहा जब सिंधिया यह कह सकते हैं कि आपका उनकी तीन पीढिय़ों से रिश्ता है तो फिर आपको तो यह खुलासा करना ही चाहिए कि आखिर यह रिश्ता बना कैसे? मोघे तो मानो मौके की तलाश में ही थे। उन्होंने इस पर एक इंटरव्यू ही दे डाला, पर यह बताने से जरूर परहेज किया कि जब ज्योतिरादित्य पहला चुनाव गुना से लड़े थे तब उन्हें हराने की कमान उन्होंने ही संभाली थी।
इंदौर पर निगाहें
रुचिवर्धन मिश्रा जब इंदौर की डीआईजी थीं, तब वल्लभ भवन की पांचवीं मंजिल पर बहुत मजबूत होने के बावजूद सीएसपी हरीश मोटवानी को इंदौर से विदाई लेना पड़ी थी। असमय विदाई की टीस मोटवानी के मन में अभी भी है। यही कारण है कि उनकी निगाहें फिर इंदौर की ओर हैं और इस मामले में सांसद शंकर लालवानी उनके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। इंदौर की ओर निगाहें तो अब बदनावर के एसडीओपी जयंतसिंह राठौर की भी हैं, लेकिन उनकी मदद कहां से हो पाती है यह खोज का विषय है।
मेंदोला की महिमा…
बॉबी छाबड़ा के भाई सतवीर छाबड़ा और खासमखास संदीप रमानी के पुलिस गिरफ्त में आने और इसके बाद बॉबी को जमानत मिलने की कड़ी भी लोगों ने जोड़ ही ली है। कुछ लोग तो दावे के साथ कह रहे हैं यह सब वजनदार विधायक रमेश मेंदोला की महिमा का प्रताप है। कहने वालों का तो यहां तक कहना है कि इस गठजोड़ से नजदीकी का नुकसान भी मेंदोला को उठाना पड़ रहा है।
टिकट की भी जेब
दिग्विजयसिंह जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने चंदा सिसौदिया को समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर मंत्री जैसी सुविधाओं से नवाजा था। हालांकि बाद में सिसौदिया भाजपा में चली गईं। अब उनके बेटे शरद बदनावर से कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं। पिछले दिनों जब कमलनाथ बदनावर पहुंचे तो शरद ने पूरा तामझाम दिखाया और अपना दावा मजबूत करते नजर आए कि यहां मेरे जैसे बड़ा जेब वाला नहीं मिलेगा।
और अंत में…
यह पता करना बहुत जरूरी है कि दिल्ली में बैठे भाजपा के किस हैवीवेट की सिफारिश पर बॉबी छाबड़ा को सुविधा देने के आरोप में खजराना थाने से लाइन भेजे गए प्रीतमसिंह ठाकुर तेजाजी नगर थाने के टीआई बनने में सफल हुए थे। हालांकि उनकी यह पारी एक पखवाड़े से भी कम की रही।
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