उत्तरकाशी । भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर इन दिनों भारतीय वायुसेना के मालवाहक विमानों को प्रशिक्षुओं द्वारा लैंडिंग और टेकऑफ कराने का अभ्यास किया जा रहा है।
गलवान घाटी में 15-16 जून को हुई हिंसक झड़प के बाद भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान चिन्यालीसौड़ से लेकर के चीन बॉर्डर तक निगरानी कर रहे थे लेकिन ताजा घटनाक्रम के बाद इन दिनों भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सीमा की निगरानी में उस तरह नहीं दिखाई दे रहे हैं, जैसा कुछ दिन पहले उनका रुटीन था । सेना सूत्रों की मानें तो मालवाहक विमानों के प्रशिक्षकों को इन दिनों उच्च हिमालयी क्षेत्रों में टेकअप एवं लैंडिंग कराने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मालवाहक हेलीकॉप्टर द्वारा वायुसेना के जवानों ने बीते दिनों भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा का हवाई निरीक्षण भी किया।
विगत दो वर्षों में सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायु सेना की सक्रियता बढ़ गई है। इससे पहले भी वायुसेना यहां पर मालवाहक विमानों और मल्टीपर्पज विमानों के लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास कर चुकी है। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना का अभ्यास गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सेना और वायुसेना की सक्रियता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। सेना के साथ वायुसेना लगातार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने अभ्यास के साथ शक्ति प्रदर्शन करती रही है लेकिन अब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की सक्रियता कुछ दिन पहले जैसी नहीं दिखाई दे रही है।
सोमवार को वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर पांच से सात बार लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया। हालांकि मंगलवार को भी सेना का यहां अभियान जारी है। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस हवाई पट्टी से अंतरराष्ट्रीय सीमा की हवाई दूरी करीब 125 किमी है। इसके साथ ही जून माह में वायुसेना के मल्टीपर्पज ए-न 32 मालवाहक विमान ने भी चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर सफल अभ्यास किया था। पिछले साल वायुसेना ने ऑपरेशन गगनशक्ति नाम से इस हवाई पट्टी पर अभ्यास किया था।
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