नई दिल्ली/रांची । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने त्योहारों के दौरान बिजली काटने पर रोक लगाने के (Banning power cuts during Festivals) झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर (Jharkhand High Court’s Order) रोक लगा दी (Has Stayed) । झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट की ओर से 3 अप्रैल को जारी आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
झारखंड सरकार के निर्देश पर राज्य बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) त्योहारों पर निकलने वाली शोभायात्रा या जुलूस में शामिल लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर एहतियात के तौर पर कई घंटों तक बिजली आपूर्ति बंद कर देता है। 1 अप्रैल, 2025 को सरहुल त्योहार की शोभायात्रा के दौरान भी रांची में पांच से दस घंटे तक बिजली काटी गई थी। इस पर झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रौशन ने 3 अप्रैल को स्वतः संज्ञान लेते हुए त्योहारों के दौरान बिजली आपूर्ति बंद करने के झारखंड सरकार के निर्देश पर रोक लगा दी थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार और जेबीवीएनएल से पूछा था कि सरहुल के दिन घंटों बिजली आपूर्ति बाधित क्यों रही? इससे होने वाली परेशानी को ध्यान में क्यों नहीं रखा गया? बिजली काटे जाने से लोगों को होने वाली परेशानी से निजात दिलाने के लिए क्या वैकल्पिक उपाय किए जाते हैं? हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की।
झारखंड सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि रामनवमी के जुलूस में लोग लंबे झंडे लेकर चलते हैं, जिससे करंट लगने की आशंका बनी रहती है। पूर्व में झारखंड में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिजली कटौती केवल शोभायात्रा मार्गों तक सीमित रहे और उसे न्यूनतम स्तर पर रखा जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अस्पतालों और आपातकालीन सेवाओं की बिजली आपूर्ति पर कोई असर न पड़े। शीर्ष अदालत ने जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक को यह अंडरटेकिंग देने का निर्देश दिया है कि कम समय के लिए बिजली काटी जाएगी और अस्पताल एवं अन्य जरूरी सेवा वाली संस्थाओं को बिजली आपूर्ति की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई आठ अप्रैल को मुकर्रर की है।
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