इंदौर। यह पहला मौका है जब शहर सरकार यानी नगर निगम ने अपने बल-बूते पर एक हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व हासिल कर लिया, जो कि गत वर्ष की तुलना में लगभग 300 करोड़ ज्यादा रहा। कल देर रात तक खुले काउंटरों पर नागरिकों ने अपना बकाया सम्पत्ति कर जमा करवाया। हालांकि 100 करोड़ रुपए की सबसे बड़ी राशि इंदौर विकास प्राधिकरण से प्राप्त हुई, जिसकी बदौलत निगम की नैया पार लग सकी और पहली बार इतनी राजस्व वसूली का रिकॉर्ड बना। एक अनुमान के मुताबिक 1087 करोड़ रुपए तक निगम खजाने में जमा हो जाएंगे। दरअसल, आज भी निगम के खाते खुले रहते हैं और देर रात तक नकद के साथ-साथ चेक और अन्य तरीकों से भी राशि जमा होती है।
इस नए वित्त वर्ष में निगम जीआईएस सर्वे करवाकर नई-पुरानी सम्पत्तियों का भी डाटा तैयार करेगा, ताकि उसके राजस्व में और वृद्धि हो सके। महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त शिवम वर्मा लगातार वित्त वर्ष की समाप्ति तक राजस्व वसूली की मॉनिटरिंग करते रहे, ताकि निगम खजाने में अधिक से अधिक बकाया राशि जमा कराई जा सके। राजस्व समिति प्रभारी नीरंजनसिंह चौहान ने भी निगम मुख्यालय से लेकर झोन कार्यालय का अवलोकन किया और उनके मुताबिक इस बार नागरिकों ने भी सहयोग किया और लगातार महापौर द्वारा की जाने वाली अपील का भी असर पड़ा, जिसके चलते गत वर्ष 786 करोड़ रुपए राजस्व निगम को मिला था, तो कल समाप्त हुए वित्त वर्ष तक यह आंकड़ा 1087 करोड़ तक पहुंच रहा है। यानी सीधे 300 करोड़ रुपए की वृद्धि एक ही वर्ष में हो गई है। निगम के अपर आयुक्त राजस्व प्रभारी नरेन्द्रनाथ पांडे के मुताबिक आज भी एंट्रियां जारी रहेंगी, चूंकि कल देर रात तक काम हुआ है। वहीं प्राधिकरण से भी 100 करोड़ रुपए की राशि हासिल हुई है। पिछले दिनों निगम ने 150 करोड़ रुपए से अधिक की राशि की मांग की थी।
मगर सीईओ आरपी अहिरवार ने निगम और प्राधिकरण के अधिकारियों को साथ बैठाया और वास्तविक देय राशि निकलवाई, जिसके चलते अभी 100 करोड़ रुपए प्राधिकरण ने देना तय किए और उसी की बदौलत निगमएक हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व का आंकड़ा पार भी कर सका। हर साल हालांकि प्राधिकरण से ही सबसे अधिक राशि निगम को मिलती है। वहीं इस बार अन्य सरकारी विभागों से भी निगम ने कर जमा करवाया। वहीं प्राधिकरण की सम्पत्तियों के अलावा नई टीपीएस योजनाओं का भी कुछ पैसा प्राधिकरण ने देना मंजूर किया है। वहीं इस वित्त वर्ष में श्री पांडे के मुताबिक जीआईएस सर्वे के माध्यम से भी सम्पत्तियों की जानकारी हासिल की जाएगी, क्योंकि निगम सीमा में कई नई सम्पत्तियों का निर्माण भी हुआ है।
दूसरी तरफ महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि यह उपलब्धि इंदौर की जागरूक जनता, निगम प्रशासन की सतर्कता और पारदर्शी व्यवस्था का परिणाम है। मैं सभी नागरिकों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने समय पर टैक्स जमा कर निमग को आर्थिक रूप से मजबूत किया और यह धन राशि शहर के विकास कार्यों में खर्च की जाएगी। अभी 3 अप्रैल को महापौर इस वित्त वर्ष का अपना सालाना बजट भी प्रस्तुत कर रहे हैं, जो 8 हजार करोड़ पार रहेगा। कल शाम 7 बजे तक ही निगम खजाने में 980 करोड़ रुपए जमा हो गए थे और रात 12 बजे तक हजार करोड़ तक लक्ष्य पार कर लिया गया। निगम और झोनल कार्यालयों पर देर रात तक काउंटर भी खुले रखे गए।
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