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इंदौर : शक्ति की भक्ति का पर्व चैत्र नवरात्र 30 मार्च से

  • March 26, 2025

    शहर के देवी मंदिरों में तैयारियां शुरू, शतचंडी यज्ञ के साथ 8 दिन विभिन्न अनुष्ठान होंगे

    इंदौर। शहर (Indore) के देवी मंदिरों (Goddess Temples) में शक्ति की भक्ति के पर्व चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) को लेकर व्यापक तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मंदिरों को विद्युत सज्जा से सजाने के साथ-साथ गर्मी को देखते हुए पंडाल और शीतल जल के प्रबंध किए जा रहे हैं।


    चैत्र नवरात्र इस बार आठ दिन की रहेगी। ऐसा तृतीया तिथि के क्षय होने कारण हो रहा है। प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4.27 बजे से लगेगी और दूसरे दिन दोपहर 12.50 बजे तक रहेगी। उदयाकाल के नियमानुसार गुड़ी पड़वा 30 मार्च को मनाई जाएगी। इसी दिन घटस्थापना भी होगी। शहर के प्राचीन बिजासन माता मंदिर, हरसिद्धि माता मंदिर, दुर्गा माता मंदिर राजबाड़ा, अन्नपूर्णा मंदिर, श्रीश्री विद्याधाम, खजराना स्थित काली मंदिर, बर्फानीधाम, वैष्णोदेवी मंदिर, कैलादेवी मंदिर सहित अन्य देवी धामों में शतचंडी यज्ञ के साथ प्रतिदिन विभिन्न अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक ने बताया कि चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा की सवारी हाथी होगी। आगमन के साथ प्रस्थान की सवारी भी हाथी ही है। देवी मां का हाथी पर सवार होकर आना बहुत शुभ माना जाता है। हाथी समृद्धि का प्रतीक है।

    यह है चैत्र नवरात्र का महत्व
    चैत्र नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा तो होती ही है, साथ ही साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नववर्ष भी प्रारंभ हो जाता है, जिसे हिंदू नवसंवत्सर कहा जाता है। चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाने का भी विधान है। अष्टमी और नवमी को छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन कराने से घर में कभी धनधान्य की कमी नहीं आती। इन नौ दिनों में उपवास, ध्यान और भजन-कीर्तन से मन और शरीर की शुद्धि होती है और भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

    विक्रम संवत् 2082 प्रारंभ होगा, हिंदू नववर्ष
    हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च से होगा। इसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, पंजाब में बैशाखी, सिंध में चेटीचंड, दक्षिण भारत में युगादि, उगादि और पुथांडु, आंध्र में उगादिनाम, जम्मू-कश्मीर में नवरेह, केरल में विशु, असम में रोंगली बिहू नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र और हिंदीभाषी क्षेत्र में इसे गुड़ी पड़वा और नवसंवत्सर के नाम से जाना जाता है। 30 मार्च 2025 को विक्रम संवत 2082 प्रारंभ होगा और चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 19 मार्च 2026 गुरुवार को समाप्त होगा।

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