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अवैध रूप से पेड़ काटने पर सख्‍त सुप्रीम कोर्ट, लगाया 4.5 करोड़ का जुर्माना, कहा- ये मानव हत्या के समान है

  • March 26, 2025

    नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को पर्यावरण (Environment) को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अवैध रूप से पेड़ काटने (illegal cutting of trees) वाले लोगों को कोई दया नहीं दिखानी चाहिए। न्यायालय ने हर अवैध रूप से काटे गए पेड़ पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई मानव हत्या से भी बुरा कार्य है, क्योंकि इन पेड़ों के पुनर्निर्माण में कम से कम 100 साल का समय लग सकता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अवैध रूप से पेड़ काटने वाले लोगों को कोई दया नहीं दिखानी चाहिए। न्यायालय ने हर अवैध रूप से काटे गए पेड़ पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की मंजूरी दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई मानव हत्या से भी बुरा कार्य है, क्योंकि इन पेड़ों के पुनर्निर्माण में कम से कम 100 साल का समय लग सकता है।

    सीनियर अधिवक्ता एडीएन राव अदालत में ‘एमिकस क्यूरी’ के रूप में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि अवैध पेड़ कटाई के मामलों में एक स्पष्ट संदेश देना जरूरी है, ताकि अपराधियों को यह एहसास हो कि कानून और पेड़ों के संरक्षण को किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राव के सुझाव पर सहमति जताई और यह आदेश पारित किया कि पेड़ काटने वालों पर एक स्पष्ट और ठोस जुर्माना लगाया जाए।


    454 पेड़ों की अवैध कटाई पर जुर्माना
    कोर्ट ने केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) की रिपोर्ट को स्वीकार किया, जिसमें शंकर अग्रवाल पर 454 पेड़ों की कटाई के लिए 1 लाख रुपये प्रति पेड़ जुर्माना लगाने का सुझाव दिया गया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, यह 454 पेड़ पिछले साल 18 सितंबर की रात को काटे गए थे, जिनमें से 422 पेड़ निजी भूमि ‘डालमिया फार्म’ पर थे। जबकि 32 पेड़ सड़क किनारे स्थित संरक्षित वन क्षेत्र में थे।

    अग्रवाल के वकील सीनियर अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से जुर्माना राशि कम करने की अपील की और यह भी कहा कि उनका मुवक्किल इस गलती को स्वीकार करता है और उसने माफी भी मांगी है। रोहतगी ने यह भी प्रस्ताव दिया कि शंकर अग्रवाल को कटे हुए पेड़ों की जगह पर पेड़ लगाने की अनुमति दी जाए। हालांकि, कोर्ट ने जुर्माना राशि में कोई छूट नहीं दी और उन्हें नजदीकी क्षेत्र में वृक्षारोपण करने की अनुमति दी।

    कोर्ट की तीखी कड़ी प्रतिक्रिया
    सीईसी की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया कि अग्रवाल ने न केवल निजी भूमि पर बल्कि एक संरक्षित वन क्षेत्र में भी पेड़ों की अवैध कटाई की थी। इस पर कोर्ट ने सख्त प्रतिक्रिया दी और अग्रवाल के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य वन विभाग को आदेश दिया कि वह यूपी पेड़ संरक्षण अधिनियम, 1976 के तहत जुर्माना वसूले और भारतीय वन अधिनियम, 1972 के तहत भूमि मालिक के खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

    पर्यावरण संरक्षण को लेकर SC गंभीर
    सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पर्यावरण संरक्षण के प्रति सरकार और आम नागरिकों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। पर्यावरण को बचाने और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने के लिए ऐसे कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियां भी हरे-भरे और जैव विविधता से समृद्ध पर्यावरण का आनंद ले सकें।

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