भोपाल की तर्ज पर इंदौर में भी गाइडलाइन पर दर्ज हुई आपत्ति
इंदौर। राज्य सरकार (state government) के द्वारा जब अभी तक इंदौर(Indore) के नए मास्टर प्लान (master plan) को लागू ही नहीं किया गया है तो फिर उस मास्टर प्लान में निवेश क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले 79 गांवों (79 villages) में जमीन के दाम क्यों बढ़ा दिए गए? इस मामले को लेकर भोपाल की तर्ज पर इंदौर में भी गाइडलाइन पर आपत्ति दर्ज कराई गई है।
नए वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से लागू होने वाली गाइडलाइन का प्रारंभिक प्रकाशन किया जा चुका है। इस गाइडलाइन पर नागरिकों से दावे-आपत्ति बुलाने का कार्य शुरू हो गया है। यह कार्य शुरू होते ही भोपाल में गाइडलाइन में जमीन की कीमत में की गई जोरदार वृद्धि का जबरदस्त विरोध हो रहा है। इस विरोध का कारण यह है कि अभी नया मास्टर प्लान आया नहीं है और इस मास्टर प्लान में निवेश क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले गांवों में जमीन की कीमत को बढ़ा दिया गया है। भोपाल में हो रहे इस विरोध की तर्ज पर ही इंदौर में भी विरोध शुरू हो गया है। इंदौर में कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी के द्वारा कल गाइडलाइन पर अपनी आपत्ति लगाई गई। इस आपत्ति में उन्होंने कहा कि अभी 79 गांव निवेश क्षेत्र में शामिल करने की केवल घोषणा हुई है। अभी मास्टर प्लान का प्रारंभिक प्रकाशन भी नहीं हुआ है और इन गांवों को निवेश क्षेत्र में शामिल भी नहीं किया गया है। इस समय इन सभी गांवों की जमीन की गाइडलाइन बढ़ा दी गई है। इस गाइडलाइन में मनमाने तरीके से वृद्धि की गई है। जब मास्टर प्लान आएगा तो इन गांवों को निवेश क्षेत्र में लिया जाएगा और उसके साथ ही इन गांवों की जमीन में से आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, कृषि और ग्रीन बेल्ट की जमीन चिह्नित होगी। इस समय पंजीयन विभाग के द्वारा इन गांवों की सारी जमीन को एक समान मानते हुए एक जैसी कीमत कर दी गई है।
द्विवेदी ने अपनी आपत्ति में कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की गाइडलाइन की दर में वृद्धि करते हुए यह तर्क दिया गया है कि पिछले 1 साल में इन क्षेत्रों में गाइडलाइन से ज्यादा कीमत पर रजिस्ट्री हुई है। उन्होंने सवाल उठाया है कि संपदा के सॉफ्टवेयर में क्या गाइडलाइन से कम कीमत पर रजिस्ट्री हो सकती है? जब इस तरह गाइडलाइन से कम कीमत पर रजिस्ट्री करने का प्रावधान ही नहीं है तो फिर निश्चित तौर पर जो रजिस्ट्री होगी वह या तो गाइडलाइन की कीमत पर होगी या उससे ज्यादा कीमत पर होगी। ऐसे में उसे आधार बनाकर गाइडलाइन में वृद्धि किया जाना उचित नहीं है। इस आपत्ति में ग्राम बिचौली हप्सी और टिगरिया बादशाह में हुए जमीन के सौदे का उदाहरण देते हुए कहा कि कई साल पहले हो चुके सौदे में पूरी राशि चुका देने और जमीन का कब्जा ले लेने के बाद इस वर्ष में जब रजिस्ट्री कराई गई तो संबंधित व्यक्ति को वर्तमान गाइडलाइन के हिसाब से स्टाम्प ड्यूटी चुकाना पड़ी है। इस आपत्ति के माध्यम से 79 गांवों की जमीन की कीमतों में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग उठाई गई है।
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