डेस्क: यूक्रेन युद्ध में शांति वार्ता में देखने मिल रहा है कि एक दूसरे के कट्टर दुश्मन देश अमेरिका और रूस करीब आ रहे हैं. यूक्रेन युद्ध को खत्म करना ट्रंप के चुनावी वादों में से एक है और इसे पूरा करने के लिए इस वक्त उन्होंने जान लगा दी. जो कभी रूस के राष्ट्रपति को पसंद नहीं करते थे, वही ट्रंप यूक्रेन को लेकर उनसे फोन पर बात कर चुके हैं और सऊदी अरब में उनके डेलिगेशन ने रूसी अधिकारियों से मुलाकात की है.
अमेरिका और रूस की करीब जहां कई देशों के लिए फायदा का सौदा है, तो ईरान के लिए खतरे की घंटी दिखाई दे रहा है. रूसी मूल की पत्रकार और फिल्म निर्माता तान्या लुक्यानोवा ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और रूस के बीच तेजी से सुधरते संबंधों का मतलब यह हो सकता है कि मास्को, वाशिंगटन के मध्यपूर्व दुश्मन ईरान से दूरी बनाना चाहेगा.
लुक्यानोवा ने आई फॉर ईरान पॉडकास्ट को बताया, “ऐसा प्रतीत होता है कि रूस अब ईरानी सैन्य सहायता में उतनी रुचि नहीं रखता है, क्योंकि यूक्रेन की लड़ाई में स्थिति बदल रही है और अमेरिका और यूक्रेन द्वारा प्रस्तावित युद्ध विराम के साथ भू-राजनीतिक स्थिति भी बदल रही है.” बता दें कि इस पूरे युद्ध के दौरान ईरान ने रूस का खूब साथ दिया है, लेकिन रूस के ट्रंप के पाले में जाने के बाद ईरान को बड़ा झटका लग सकता है.
रूसी सरकारी मीडिया के मुताबिक पुतिन ने पिछले हफ्ते वाशिंगटन और तेहरान के बीच परमाणु वार्ता में मध्यस्थता करने पर सहमति जताई थी, जिससे वह समीकरण बिगड़ गया जिसमें ईरान और रूस सालों से करीब आ रहे थे. लुक्यानोवा ने कहा, “फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण की शुरुआत के बाद से ईरान-रूस के रिश्ते मजबूत हुए थे, इस दौरान ईरान रूस के लिए एक प्रमुख भागीदार बन गया था.”
पश्चिमी देशों का कहना है कि रूस ने इस युद्ध में ईरानी उपकरण जैसे कि उसके ड्रोन, हथियार और मिसाइलों का इस्तेमाल किया और ईरान की पार्टनरशिप ने उसको अमेरिकी सैंक्शंस को बाईपास करने में मदद की.
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