नई दिल्ली। पीएम केयर फंड से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। इस फंड में 2022-23 के वित्तीय वर्ष में कुल स्वैच्छिक योगदान घटकर 912 करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद बने इस सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट के इतिहास में सबसे कम है।
प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपातकालीन राहत कोष की वेबसाइट पर प्रकाशित ऑडिटेड बयानों के अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। 2020-21 में इस फंड में स्वैच्छिक योगदान 7,184 करोड़ रुपये तक पहुंचा था, जो 2021-22 में घटकर 1,938 करोड़ रुपये हो गया और फिर 2022-23 में और भी कम हो गया, जब कोविड के खतरे में कमी आई।
2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए उपलब्ध आखिरी बयान के अनुसार, विदेशी योगदान में भी बड़ी गिरावट आई है। 2020-21 में यह 495 करोड़ रुपये तक पहुंचा था, जो अगले दो वर्षों में घटकर क्रमशः 40 करोड़ रुपये और 2.57 करोड़ रुपये हो गया।
2022-23 में कुल व्यय लगभग 439 करोड़ रुपये था, जिसमें से 346 करोड़ रुपये पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन द्वारा उपयोग किए गए, जो कि कोविड महामारी के कारण अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावकों या जीवित माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों का समर्थन करने के लिए एक सरकारी पहल है। इसके अलावा, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की खरीद पर लगभग 92 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
पीएम केयर फंड की स्थापना नरेंद्र मोदी सरकार ने कोविड महामारी जैसी आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने और प्रभावित लोगों को राहत देने के उद्देश्य से की थी। यह एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत है और इसमें केवल स्वैच्छिक योगदान होते हैं, सरकारी बजट से कोई समर्थन नहीं मिलता।
समय-समय पर इस फंड का उपयोग आपातकालीन देखभाल में किया गया, जिसमें ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करना और केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे अस्पतालों में वेंटिलेटर खरीदना शामिल है।
2021-22 में, इस फंड से 1,703 करोड़ रुपये का खर्च ऑक्सीजन प्लांट्स पर और 835 करोड़ रुपये का खर्च वेंटिलेटर्स पर किया गया था, जबकि कुल खर्च लगभग 1,938 करोड़ रुपये था। 2022-23 के अंत में फंड का समापन बैलेंस 6,283 करोड़ रुपये से अधिक था।
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