इम्फाल। मणिपुर हाईकोर्ट (Manipur High Court) के पूर्व मुख्य न्यायधीश सिद्धार्थ मृदुल (Former Chief Justice Siddharth Mridul) ने मंगलवार को कहा कि राज्य की स्थिति को तुरंत नियंत्रण में लाने की आवश्यक्ता है, नहीं तो यहां कुछ नहीं बचेगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मणिपुर (Manipur) को अदृश्य ताकतें जला रही हैं और यहां हिंसा को बढ़ावा (Promote violence) दे रही हैं। उन्होंने मंगलवार को ये बातें कही हैं। आपको बता दें कि जस्टिस मृदुल ने बतौर मुख्य न्यायाधीश अक्टूबर 2023 में कार्यकाल शुरू किया था। इसी दौरान यहां हिंसा शुरू हो चुकी थी। बीते मई तक वहां से हिंसा खबरें सामने आती रही।
दिल्ली में एक पैनल चर्चा के दौरान, जस्टिस मृदुल ने कहा कि कुछ तत्व मणिपुर को लगातार जलते हुए रखने में अपनी रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा. “मैं अब इस विचार से सहमत होने लगा हूं कि इस निरंतर हिंसा के पीछे एक अदृश्य हाथ है। यह हाथ किसका है, यह मुझे अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसके पीछे कई कारक हो सकते हैं।” आपको बता दें कि वह पिछले महीने इस अपने पद से रिटायर हुए हैं।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि कोई ना कोई इस हिंसा को बढ़ाने में शामिल है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हर बार जब स्थिति सामान्य होने लगती है, तो अचानक नई हिंसा की लहर आती है। इससे मुझे यह विश्वास होता है कि इसके पीछे कुछ ताकतें हैं। ये ताकतें बाहरी और स्थानीय दोनों हो सकती हैं।”
मणिपुर में लगभग 19 महीनों से हिंसा का दौर जारी है। यहां जातीय संघर्ष का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है। हिंसा और प्रतिशोध के हमलों की इस श्रृंखला ने केंद्र सरकार को और अधिक सैनिक भेजने, अफस्पा फिर से लागू करने और विभिन्न समूहों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता करने के लिए मजबूर किया है। हालांकि इन कदमों का ज्यादा असर नहीं दिखा है। मणिपुर में अब तक लगभग 240 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
उन्होंने कहा, “कुछ समय के लिए हिंसा रुकी, लेकिन मई से अब तक मणिपुर में कभी भी सामान्य स्थिति बहाल नहीं हुई है। मेरी वहां के अफसरों के साथ बातचीत केवल यह सुनिश्चित करने के लिए थी कि न्यायपालिका बिना किसी रुकावट के अपने कार्यों को निभा सके। लेकिन मुझे यह महसूस हुआ कि कोई भी स्थिति पर नियंत्रण नहीं रखता था।”
केंद्र ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बार-बार राज्य में अधिक सैनिक भेजे हैं। वर्तमान में भारतीय सेना, असम राइफल्स, CRPF और मणिपुर पुलिस सहित लगभग 60,000 सुरक्षा कर्मी राज्य में तैनात हैं। हालांकि,जस्टिस मृदुल बड़ी तादाद में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने कहा कि इनकी मौजूदगी के बाद भी हिंसा के कारण विस्थापित हुए हजारों लोग अपने घर वापस नहीं लौट पा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “राहत शिविरों में जो मैं सुन रहा था वह यही था कि हम घर लौटना चाहते हैं। हम अपने जीवन में वापस लौटना चाहते हैं जैसे कि हिंसा से पहले था। क्या यह सत्ता में बैठे लोगों से ज्यादा कुछ मांगना है?” पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को क्षेत्र में शांति बहाल करने की प्राथमिकता के रूप में कार्य करना चाहिए, अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है और अन्य राज्यों में फैल सकती है।
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