उज्जैन। संपदा 2 सॉफ्टवेयर जो उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में रजिस्ट्री प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए लागू किया गया हैं, लेकिन अब इसमें कई परेशानियाँ आ रही हैं। ऐसे में यह नई व्यवस्था क्रेता-विक्रेता और सर्विस प्रोवाइडरों के लिए सिरदर्द बन गई हैं। उल्लेखनीय है कि दस्तावेज पंजीयन में धोखाधड़ी से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने 10 अक्टूबर को संपदा 2 सॉफ्टवेयर लागू किया। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य दस्तावेज पंजीयन को सरल और डिजिटलाइजेशन करना भी था। अब तक इस नई व्यवस्था को लागू हुए डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन इसे लेकर कई परेशानियाँ आ रही हैं। इसे लेकर आम लोग और सर्विस प्रोवाइडर सभी परेशान हैं। उज्जैन जिले में भी यह व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकी है। पावर ऑफ अटॉर्नी जैसे दस्तावेज तो पंजीकृत हो रहे हैं, लेकिन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त वाली रजिस्ट्री के काम रुक रहे हैं और यही काम आम तौर पर सबसे ज्यादा होते हैं। बता दें कि संपदा 2 सॉफ्टवेयर के तहत रजिस्ट्री के लिए ओटीपी प्रणाली लागू की गई है। सर्विस प्रोवाइडर का कहना है कि चार-चार बार ओटीपी लेना पड़ता है, लेकिन फिर भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। इससे काम में देरी हो रही है और लोगों को रुपए फंसने का डर सता रहा है। पुराने सॉफ्टवेयर का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन उसमें भी सर्वर की समस्या से काम ठप हो जाता है। इसके अलावा संपदा 2 में कई विसंगतियाँ हैं। शासन ने बिना सोचे समझे संपदा 2 लागू कर दी है, जो अनुचित है।
संपदा 2 में यह है खामियाँ…
राजस्व की गणना कम्प्यूटर पर नहीं देख सकते, राशि सही है या गलत- जिओ टेंगिंग में सही लोकेशन ट्रेस नहीं होगी। गूगल मैप में कॉलोनी की लोकेशन मिल सकती है, लेकिन प्लॉट की लोकेशन नहीं। वसीयत वाले मामलों में गड़बड़ होने की पूरी संभावना है। किसी को भी गवाह बना कर संपत्ति विक्रय या नामांतरण की जाने की संभावना बढ़ गई है। इसमें पहले उप पंजीयक के सामने बयान और जाँच होती थी। आधार को आधार बनाकर उसके अनुसार पंजीयन प्रमाण किया जाएगा, जो गलत भी हो सकता है। एक आधार से कई रजिस्ट्री का प्रावधान किया गया है, जिसमें धोखा होने की संभावना ज्यादा है। इसमें बार बार मोबाइल पर ओटीपी आने की प्रक्रिया है, जिससे फ्राड होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
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