नई दिल्ली। भारतीय डेटा सेंटर उद्योग की क्षमता वित्त वर्ष 2027 तक दोगुनी से अधिक होकर 2 से 2.3 गीगावॉट तक जाएगी, जिसका श्रेय अर्थव्यवस्था में बढ़ते डिजिटलीकरण को जाता है। उद्यम क्लाउड स्टोरेज में तेजी से निवेश कर रहे हैं, जिससे क्षमता वृद्धि में मदद मिलेगी। क्रिसिल रेटिंग्स ने सोमवार को यह दावा किया।
रेटिंग एजेंसी के अनुसार, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) की बढ़ती पैठ से मध्यम अवधि में मांग बढ़ने की उम्मीद है। जेन एआई की तीव्र प्रगति, जिसके लिए पारंपरिक क्लाउड कंप्यूटिंग कार्यों की तुलना में अधिक कम्प्यूटेशनल शक्ति और कम देरी की आवश्यकता होती है, भारत में डेटा सेंटर की मांग को भी बढ़ावा देगी।
डेटा सेंटर आम तौर पर नेटवर्क सर्वरों का एक बड़ा समूह होता है जिसका उपयोग संगठन बड़ी मात्रा में डेटा के दूरस्थ भंडारण या वितरण के लिए करते हैं। डेटा स्थानीयकरण योजनाओं से डेटा केंद्रों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है, इसके अलावा विभिन्न राज्यों की ओर से ऐसे निवेशों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन भी दिए जाते हैं। डेटा सेंटर कंप्यूटिंग और स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग को पूरा करते हैं, जो दो कारकों से संचालित होती है।
पहला, उद्यम तेजी से अपने कारोबार को क्लाउड सहित डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर रहे हैं, यह एक ऐसा चलन है जो कोविड-19 महामारी के बाद और तेज हो गया है। दूसरा, हाई-स्पीड डेटा की बढ़ती पहुंच ने सोशल मीडिया, ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म और डिजिटल भुगतान सहित इंटरनेट के उपयोग में उछाल ला दिया है।
क्रिसिल के अनुसार, पिछले पांच वित्त वर्षों में मोबाइल डेटा ट्रैफ़िक ने 25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की है। यह वित्त वर्ष 2024 के अंत में 24 जीबी प्रति माह था और वित्त वर्ष 2026 तक इसके 33-35 जीबी तक बढ़ने की उम्मीद है।
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