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    तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को अंतिम विदाई, सैन फ्रांसिस्को में हुए सुपुर्द-ए-खाक

  • December 20, 2024

    वॉशिंगटन. पूरी दुनिया में मशहूर तबला वादक (tabla player) जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) को गुरुवार को सैन फ्रांसिस्को (Francisco) में सुपुर्द-ए-खाक (buried) कर दिया गया। दुनिया के सबसे बेहतरीन तबलावादकों में से एक जाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया था। वह 73 वर्ष के थे। वे फेफड़ों की बीमारी इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं से परेशान थे।

    परिवार में कौन-कौन?
    प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के पुत्र जाकिर हुसैन का जन्म नौ मार्च 1951 को हुआ था। उन्हें उनकी पीढ़ी के सबसे महान तबला वादकों में से एक माना जाता है। उनके परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला और उनकी बेटियां अनीशा कुरैशी और इजाबेला कुरैशी हैं। परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘वह दुनिया भर के अनगिनत संगीत प्रेमियों द्वारा संजोई गई एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक बना रहेगा।’


    कई अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया
    छह दशकों के अपने करियर में जाकिर हुसैन ने कई प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय और भारतीय कलाकारों के साथ काम किया, लेकिन गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन, वायलिन वादक एल शंकर और तालवादक टीएच ‘विक्कू’ विनायक्रम के साथ 1973 में भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी जैज संगीत के तत्वों के उनके संलयन को काफी सराहा गया।

    सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू किया
    जाकिर हुसैन ने महज सात वर्ष की आयु से ही तबले पर हाथ आजमाना शुरू कर दिया था और आगे चलकर उन्होंने पंडित रविशंकर, अली अकबर खान और शिवकुमार शर्मा जैसे दिग्गजों सहित भारत के लगभग सभी प्रतिष्ठित संगीत कलाकारों के साथ काम किया। यो-यो मा, चार्ल्स लॉयड, बेला फ्लेक, एडगर मेयर, मिकी हार्ट और जॉर्ज हैरिसन जैसे पश्चिमी संगीतकारों के साथ उनके अभूतपूर्व संगीत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया।

    पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते
    जाकिर हुसैन ने अपने करियर में पांच ग्रैमी पुरस्कार जीते, जिनमें से तीन इस साल की शुरुआत में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में मिले थे। भारत के सबसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकारों में से एक हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

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