नई दिल्ली: ओडिशा के कटक में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने राज्य के चुनाव आयोग को भी हिला दिया. दरअसल, एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर की ड्यूटी चुनाव में लगी. इस प्रोफेसर के दिमाग में एक खुराफात सूझी और उसने चुनाव अधिकारी के ही जाली सिग्नेचर कर डाले. पांच साल तक उसकी चोरी छुपी रही. किसी को कानों-कान खबर नहीं लगी कि इस महिला ने चुनाव के दौरान क्या किया था. अब केस खुला तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है. यह पूरा केस चुनाव ड्यूटी से बचने से जुड़ा है.
कटक के लालबाग पुलिस ने बुधवार को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनाव ड्यूटी से बचने के लिए चुनाव अधिकारी के साइन की जालसाजी करने के आरोप में रावेनशॉ विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जिला कलेक्टर की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था. पुलिस के अनुसार, सहायक प्रोफेसर ने राजस्थान के एक विश्वविद्यालय में रिफ्रेशर कोर्स में भाग लेने की बात कहकर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से 11 दिनों की छुट्टी मांगी थी. उसने कथित तौर पर जिला उप चुनाव अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए गए डाक्यूमेंट्स पेश किए.
इस दस्तावेज में 9 से 19 अप्रैल, 2019 तक चुनाव ड्यूटी से राहत का अनुरोध किया गया था. खबर के मुताबिक डीसीपी ने बुधवार को कहा, “पत्र और साइन जाली पाए गए. उप चुनाव अधिकारी द्वारा ऐसी कोई अनुमति कभी नहीं दी गई थी.” संपर्क करने पर, रावेनशॉ विश्वविद्यालय के कुलपति संजय नायक ने टीओआई से कहा, “यह एक प्रशासनिक मामला है और रजिस्ट्रार जवाब देने के लिए सही व्यक्ति हैं.” रजिस्ट्रार काहनू चरण मलिक ने भी इस मामले में टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया.
यह मामला उस वक्त सामने आया जब चुनाव अधिकारियों ने पाया कि सहायक प्रोफेसर द्वारा पेश किए गए दस्तावेज संदिग्ध हैं. इन दस्तावेजों में रिफ्रेशर कोर्स में भाग लेने वाला पत्र शामिल था. मीना ने कहा, “हमने प्रोफेसर को इस संबंध में विस्तार में जानकारी देने के लिए कहा है. कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.”
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved