• img-fluid

    पूरे देश में ग्राम न्यायालयों की स्थापना के लिए नहीं हो सकता ‘‘एक समान फार्मूला’’ : सुप्रीम कोर्ट

  • December 19, 2024

    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि ग्राम न्यायालयों की स्थापना (Establishment of village courts) के लिए पूरे देश के लिए ‘‘एक समान फार्मूला’’ (Same formula) नहीं हो सकता, क्योंकि स्थिति राज्य दर राज्य निर्भर करेगी। संसद ने 2008 में एक कानून पारित किया था जिसमें नागरिकों को उनके घर के निकट न्याय उपलब्ध कराने के लिए जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालयों की स्थापना (Establishment of village courts) का प्रावधान किया गया था। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया गया था कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य परेशानियों की वजह किसी को भी न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए।


    जस्टिस बी. आर. गवई (Justice B. R. Gawai) और जस्टिस के वी विश्वनाथन (Justice K V Vishwanathan) की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को शीर्ष अदालत की निगरानी में ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘आप पूरे देश के लिए एक समान फार्मूला नहीं अपना सकते।’’ शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील की इस दलील पर संज्ञान लिया कि यहां ग्राम न्यायालय स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में कोई ग्राम पंचायत नहीं है।

    पीठ ने कहा, ‘‘स्थिति राज्य दर राज्य निर्भर करेगी, कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में वैकल्पिक पारंपरिक प्रणालियां हैं और इसलिए इनमें से कुछ राज्यों में काम कर रहे न्यायालयों के पास पर्याप्त काम नहीं है।’’ इस संबंध में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस एवं अन्य ने याचिका दाखिल की थी। उनकी ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह सर्वविदित है कि भारत की अदालतों में कितने मामले लंबित हैं।

    उन्होंने कहा कि संभवतः कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि उनके न्यायालय सभी मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त हैं। पीठ ने कहा कि इन सभी प्रश्नों का समाधान राज्य के विशिष्ट मुद्दों को ध्यान में रखकर करना होगा। शीर्ष अदालत में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता निधेश गुप्ता ने सूचित किया कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के 16 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में कुछ राज्यों ने हलफनामे दाखिल कर विस्तृत जानकारी दी है, जिसमें स्थापित ग्राम न्यायालयों की संख्या के बारे में भी जानकारी शामिल है।

    पीठ ने रेखांकित किया कि कुछ राज्यों का यह रुख था कि यह अधिनियम अनिवार्य नहीं है, इसलिए उनके लिए ग्राम न्यायालय गठित करना आवश्यक नहीं है। अदालत ने कहा कि कुछ राज्यों ने यह रुख अपनाया कि यद्यपि यह अधिनियम उन पर भी लागू है, लेकिन उपलब्ध मौजूदा बुनियादी ढांचे को देखते हुए, ग्राम न्यायालयों की स्थापना करना आवश्यक नहीं है। न्यायमित्र ने पीठ को बताया कि विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए यह आवश्यक होगा कि उनके द्वारा तैयार प्रश्नावली पर राज्यों से जवाब मांगा जाए।

    पीठ ने राज्यों के मुख्य सचिवों को 12 सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल कर प्रश्नावली में पूछे गए प्रश्नों के बारे में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया। प्रश्नावली में राज्यों में जिलावार न्यायाधीशों और जनसंख्या के अनुपात का विवरण भी मांगा गया है। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 14 सप्ताह के लिए टाल दी।

    Share:

    दिल्ली चुनावः भाजपा ने की राज्य चुनाव समिति की घोषणा, जानें किन-किन नेताओं को मिली जगह?

    Thu Dec 19 , 2024
    नई दिल्ली। दिल्ली भाजपा (Delhi BJP) ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव (Upcoming Delhi Assembly Elections) के लिए तमाम नामों वाली राज्य चुनाव समिति (State Election Committee) की घोषणा की है। दिल्ली प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा (Delhi Chief Virendra Sachdeva) की अध्यक्षता में गठित इस समिति में बांसुरी स्वराज समेत दिल्ली के सभी सात सांसदों को जगह […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    गुरुवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved