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    मैदान के बाहर चल रहे खेल से क्रिकेट का बंटाढार…

  • December 18, 2024


    मैैदान पर हो रहा है कुछ और खेल… जिसमें है ईष्र्या-जलन…राग-द्वेष से लेकर अहंकार तक का मेल… दरअसल बड़े खिलाड़ी नए खिलाडिय़ों को पचा नहीं पा रहे हैं… उन्हें बदनाम करने के लिए मैदान में जाने से पहले लौटने के प्लान बना रहे हैं… इस खेल में रोहित हो या विराट… सारे स्थापित खिलाड़ी अपना किरदार निभा रहे हैं.. यशस्वी हो या नीतेश या शुभमन गिल… नए होने की सजा में इतने दबाव में मैदान में जा रहे हैं कि बल्ले से रन निकालने की कोशिश में विकेट फिसले जा रहे हैं… मनोवैज्ञानिक दबाव से गुजरते जो खिलाड़ी मध्यम क्रम की बल्लेबाजी के लिए मैदान में रखे गए हैं, वे तब मनोवैज्ञानिक दबाव में आ जाते हैं, जब राहुल-विराट ढंग से नहीं खेल पाते…. ऐसे में सारा दबाव नए खिलाडिय़ों पर आ जाता है.. ओपनिंग बैट्समैन के खेल से कुछ पुरानी हो चुकी गेंद के बजाय नई गेंद से इन बल्लेबाजों को खिलाया जाता है… यह एक बार… दो बार नहीं हर बार हो रहा है… इसलिए हम हार ही नहीं रहे हैं, बल्कि खुद को हरा रहे हैं… कहने को वो टीम इंडिया है, लेकिन उस टीम में टीम जैसा कुछ नहीं है… इस हकीकत को ब्रिस्बेन में अग्निबाण के पाठक डॉ. राजेश खुजनेरी ने तब महसूस किया, जब वो होटल में खिलाडिय़ों से मिले… ब्रिस्बेन की होटल सोफिटेल में राजेश भी ठहरे हुए थे और खिलाड़ी भी… भारत के खिलाडिय़ों में निकटता न होटल में नजर आई न होटल के बाहर…. विश्वस्तरीय क्षमता होने के बावजूद नए खिलाडिय़ों में जहां मानसिक अवसाद था, वहीं पुराने खिलाडिय़ों में अहंकार… कई खिलाड़ी अकेले घूमते-चलते और बैठे दिखाई दिए… सभी ने अलग-अलग होकर भोजन किया… उनमें न दोस्ती नजर आ रही थी और न ही सकारात्मकता…. न कोई उत्साह था न गर्माहट… जो प्रशंसक इन खिलाडिय़ों से मिलते थे वो भी अनादर महसूस करते थे.. रोहित शर्मा चिड़चिड़े नजर आ रहे थे और लगातार आईफोन से चिपके दिखाई दे रहे थे… न वो पूरी नींद ले पा रहे थे और न प्रैक्टिस के लिए मैदान में जा रहे थे.. इन्हीं हालातों में गौतम गंभीर तनाव और गुस्से के मिश्रित भाव में दिखाई दे रहे थे… खिलाडिय़ों में एकता की कमी की वजह से मैदान में कहीं तालमेल नजर नहीं आ रहा है और न ही ऊर्जा दिखाई दे रही है… खिलाडिय़ों में आत्मविश्वास और सामंजस्य की कमी की वजह से हम लगातार हार ही नहीं, बल्कि शर्मनाक हार का सामना कर रहे हैं… हालांकि इन सबके बीच यशस्वी जायसवाल और आकाशदीप साथ देखे गए… लेकिन उनकी अकेले की एकता मैदान मारने के लायक नहीं है… कुल मिलाकर स्थापित खिलाड़ी नई प्रतिभाओं का दमन करने के लिए उन्हें एकाकीपन का अहसास करा रहे हैं… उससे टीम की न केवल आंतरिक दरार मुखर हो रही है, बल्कि मैदान का तनाव भी साफ दिखा रही है… इन परिस्थितियों को समझते हुए भारतीय क्रिकेट के जिम्मेदार जय शाह न तो भारतीय क्रिकेट के गौरव और न ही करोड़ों प्रशंसकों की चाहत के साथ इंसाफ कर पा रहे हैं… क्योंकि वो भी उतने ही नए अध्यक्ष हैं, जितने नए खिलाड़ी.. खिलाड़ी तो प्रतिभा के दम पर मैदान में आए हैं… लेकिन शाह तो थोपे गए उस्ताद बनाए गए हैं… यही हाल रहा तो पुराने तो रिटायर होकर घर बैठ जाएंगे, नए भी पुराने नहीं हो पाएंगे और क्रिकेटप्रेमियों के अरमानों के विकेट देश में गिरते जाएंगे…

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    रूस ने किया कैंसर वैक्सीन तैयार करने का दावा, कहा-फ्री में लगाएंगे

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    नई दिल्ली. रूस (Russia ) के स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health) ने दावा किया है कि उन्होंने कैंसर की वैक्सीन (cancer vaccine) विकसित कर ली है, जिसको वह अपने नागरिकों को मुफ्त में देंगे.  एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के चीफ एंड्री काप्रिन (andrey kaprin) ने कहा […]
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