मुंबई। महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के नई मंत्रिमंडल को अभी एक ही दिन बीता है और बगावत के सुर तेज हो गए हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति (Grand Alliance) के 11 प्रमुख मंत्रियों को नई सरकार से हटा दिया गया, जिससे उनके समर्थकों में बेचैनी है। कुछ नेताओं के समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, खासकर छगन भुजबल के समर्थकों में काफी नाराजगी है। छगन भुजबल ने तो यहां तक कह दिया कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करने के बाद भविष्य की राह तय करेंगे। उधर, खबर है कि भाजपा के दिग्गज नेता सुधीर मुंगतीवार भी नाराज चल रहे हैं। उन्होंने फडणवीस के उस दावे का खंडन किया कि लंबी चर्चा के बाद उन्हें मंत्रिपद नहीं मिला।
सत्तारूढ़ गठबंधन के तीन घटक दलों में से सबसे ज़्यादा एनसीपी के अजित पवार गुट के पांच प्रमुख नेता छगन भुजबल, धर्मराव बाबा आत्राम, संजय बनसोडे, दिलीप वाल्से पाटिल और अनिल पाटिल को बाहर किया गया है। भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना से भी तीन-तीन दिग्गज नेताओं को मंत्रिपद से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। भाजपा ने रवींद्र चव्हाण, सुधीर मुंगंतीवार और विजयकुमार गावित को हटा दिया है जबकि शिवसेना ने तानाजी सावंत, अब्दुल सत्तार और दीपक केसरकर को बाहर रखा है।
उधर, हटाए गए दूसरे बड़े नेता सुधीर सुधीर मुंगतीवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस दावे का खंडन किया है कि उन्हें “लंबी चर्चा” के बाद हटाया गया है। फडणवीस ने कहा, “हमने सुधीर सुधीर मुंगतीवार के साथ मंत्रिमंडल विस्तार पर लंबी चर्चा की। अगर उन्हें मंत्री पद नहीं मिलता है तो संभावना है कि पार्टी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।”
सुधीर मुंगतीवार ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने उनसे मंत्री पद के बारे में लंबी चर्चा नहीं की। उन्होंने विस्तार के दिन ही बात की। उन्होंने कहा कि फडणवीस और राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था कि मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले उनका नाम मंत्रियों की सूची में था, लेकिन मामला कुछ और निकला।
कई और लोगों के हाथ भी खाली
ऐसे कई लोग हैं जो फडणवीस कैबिनेट में जगह पाने की दौड़ में थे, लेकिन खाली हाथ रह गए। खास तौर पर शिवसेना को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उसके एक विधायक नरेंद्र भोंडेकर पहले ही पार्टी के पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। पुरंदर से विधायक विजय शिवतारे ने कहा कि वह “मंत्री पद न मिलने से दुखी नहीं हैं, बल्कि अपने साथ हुए व्यवहार से दुखी हैं।”
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि “तीनों नेताओं ने ठीक से संवाद नहीं किया। अगर मुझे ढाई साल बाद भी मंत्री पद दिया जाए तो मैं इसे स्वीकार नहीं करूंगा।” उन्होंने कहा, “गुलाम नहीं हैं। मैं जरूरतमंद नहीं हूं, बस मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं हुआ। महाराष्ट्र बिहार की राह पर है, क्योंकि हम क्षेत्रीय संतुलन नहीं, बल्कि जातिगत संतुलन पर ध्यान दे रहे हैं।”
मगाठाणे से विधायक प्रकाश सुर्वे ने कहा कि विद्रोह के बाद शिंदे के साथ जुड़ने वाले वह पहले विधायक हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक साधारण व्यक्ति हूं, संघर्ष के बाद मैंने सबकुछ हासिल किया है और आगे भी करता रहूंगा। जिन लोगों ने (मंत्रिमंडल में जगह की) मांग की, वे सभी बड़े लोगों के बच्चे हैं, मैं नहीं हूं। शिंदे के साथ जाने के बाद मुझे अपना परिवार वहां से हटाना पड़ा।”
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