महिदपुर। महिदपुर के किले में मराठा और मालव शैली के चित्र आज भी संरक्षित हैं। इन्हें जन जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से चित्रकारी की जा रही है। कलाकार किले की ऐतिहासिक धरोहर को केनवास पर उतारने का काम कर रहे हैं।
विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में दो बार शोध कर देश के प्राचीन इतिहास में महिदपुर का नाम जोड़ा है। इस स्थल पर 17वीं शताब्दी में संताजी बाग द्वारा निर्मित मराठा कालीन दुर्लभ चित्रों को खोजा गया था। यह चित्र मालवा शैली के आदित्य है। अश्विनी शोध संस्थान द्वारा धरोहर व चित्रों को सहेजने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसी क्रम में अश्विनी शोध संस्थान के निदेशक डॉ. आरसी ठाकुर, माधव शासकीय कला महाविद्यालय के पूर्व चित्रकला विभाग अध्यक्ष डॉ. श्रीकृष्ण जोशी और शोधार्थी तिलकराज सिंह सोलंकी, अंशु शर्मा, मयंक अखंड ने महिदपुर के किले की धरोहर को कैनवास पर उकेरा। डॉ. ठाकुर ने बताया कि चित्रकारों द्वारा यहां के चित्रों को कैनवास पर चित्रण किया जाएगा। कैनवास पर उकेरने के बाद चित्र सुरक्षित व अमर हो जाएंगे। इसके द्वारा हमारा प्रयास प्राचीन धरोहर को फोटो के माध्यम से सुरक्षित रखने के साथ जन सामान्य तक पहुंचाना है। चित्रकारों ने किले में स्थित दिल्ली दरवाजा, दीवारों, भस्मी टेकरी, बाघ शासक हवेली, शिप्रा नदी पर बने घाट, तुलसा बाई की समाधि आदि के फोटो लिए हैं।
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