उज्जैन। संभाग के सबसे बड़े अस्पताल में आग बुझाने के साधन नहीं हैं तथा 800 मरीज यहाँ भर्ती होते हैं और कभी भी हादसा हो सकता है। हालत यह है कि अधिकांश उपकरण बंद पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि करीब आठ साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने 6 मंजिला चरक अस्पताल की बिल्डिंग शहर को दी थी। सालों तक यहाँ मातृ एवं शिशु रोग विभाग सहित अस्पताल के कुछ अन्य विभाग संचालित होते रहे। अब जिला चिकित्सालय के विभाग और वार्ड भी यहाँ शिफ्ट कर दिए गए हैं, लेकिन फायर सुरक्षा को लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा लापरवाही बरती जा रही हैं।
800 मरीजों की जान से खिलवाड़…
चरक अस्पताल में 800 बिस्तर है। अस्पताल में ग्राउंड फ्लोर पर दवा वितरण केंद्र, सभी विभागों की ओपीडी, आफिस व फिजियोथैरेपी केंद्र बना हुआ है। पहली मंजिल पर पीआइसीयू व एसएनसीयू बने हुए है। इसके अलावा बच्चों को भर्ती करने के वार्ड है। दूसरी व तीसरी मंजिल पर गर्भवती व प्रसूता महिलाओं को भर्ती करने के वार्ड व आपरेशन थियेटर बने है। चौथी व पाँचवी मंजिल पर भी वार्ड बने हैं। ऐसे में हर समय यहाँ 400 से 500 लोग मौजूद रहते हैं। इनमें बच्चे, महिलाएँ, वृद्ध सभी शामिल हैं, जिनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा हैं।
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