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    देश तो बहुसंख्यक के हिसाब से चलेगा… बयान देने वाले जज को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने किया तलब

  • December 16, 2024

    नई दिल्ली. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के समारोह में विवादास्पद बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) के जज (judge) जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Kumar Yadav)  को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कॉलेजियम (Collegium) ने तलब किया है. जस्टिस शेखर कुमार यादव अपना रुख स्पष्ट करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के समक्ष पेश होंगे होंगे.

    सूत्रों के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम इस मामले पर विचार-विमर्श करने के लिए शीर्ष अदालत के शीतकालीन अवकाश से पहले मंगलवार (17 दिसंबर) को बैठक करेगी.


    जज ने दिया था ये बयान
    8 दिसंबर को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता का समर्थन किया था. वायरल वीडियो में उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन का समर्थन किया और कहा कि कानूनों को बहुसंख्यकों की प्राथमिकताओं के अनुरूप होना चाहिए.

    उन्होंने कहा, ‘ये कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है. हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा. यही कानून है. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जस्टिस होकर ऐसा बोल रहे हैं. कानून तो भइया बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है.” उन्होंने ये भी कहा कि ‘कठमुल्ले’ देश के लिए घातक हैं.’

    बयान की हुई थी तीखी आलोचना
    सोशल मीडिया पर इस वायरल वीडियो की तीखी आलोचना हुई थी और तमाम लोगों और विपक्षी नेताओं उनके बयान और टिप्पणियों को को विभाजनकारी और असंवैधानिक बताया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी थी. शीर्ष अदालत के एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा दिए गए भाषण की समाचार पत्रों में छपी रिपोर्टों पर ध्यान दिया है. हाईकोर्ट से विवरण और विवरण मंगवाए गए हैं, और मामला विचाराधीन है.”

    जस्टिस यादव की टिप्पणियों की राजनीतिक और कानूनी हलकों में निंदा की गई, आलोचकों ने इसे न्यायिक निष्पक्षता का उल्लंघन बताया. अधिवक्ता प्रशांत भूषण और सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने मुख्य न्यायाधीश खन्ना को पत्र लिखकर कहा कि यह टिप्पणी न्यायाधीश के पद की शपथ का उल्लंघन है. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी न्यायाधीश की टिप्पणी की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.

    महाभियोग की मांग
    इस बीच, पिछले शुक्रवार को 55 विपक्षी सांसदों ने जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग करते हुए राज्यसभा में नोटिस दाखिल किया. समाजवादी पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल और कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के नेतृत्व में सांसदों ने शुक्रवार को राज्यसभा महासचिव को महाभियोग का नोटिस सौंपा. करीब 55 सांसदों के हस्ताक्षर वाले इस प्रस्ताव पर संसद के शीतकालीन सत्र के खत्म होने से पहले चर्चा होने की उम्मीद है.

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