डेस्क: बांग्लादेश (Bangladesh) की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) पर लोगों को जबरन गायब (Missing) करने का आरोप लगाया है. जांच आयोग ने इसको लेकर मोहम्मद यूनुस (Mohammed Yunus) सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है. इसमें कहा गया है कि शेख हसीना 3500 से ज्यादा लोगों को जबरन गायब करने की घटनाओं में शामिल रही हैं. इसमें हसीना के अलावा उनके रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (रिटायर) तारिक अहमद सिद्दीकी, टेलीकम्युनिकेशन के पूर्व डॉयरेक्टर जियाउल अहसान और कई पुलिस अधिकारी भी शामिल थे.
रिपोर्ट में रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) को भी भंग करने की सिफारिश की गई है क्योंकि इसमें इसकी भूमिका भी संदिग्ध रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हसीना ने इस बटालियन का इस्तेमाल कर लोगों को यातनाएं दीं. रिटायर जस्टिस मैनुल इस्लाम चौधरी के नेतृत्व में इस आयोग का गठन किया गया है. इसमें पांच सदस्य हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आयोग को लोगों के जबरन गायब होने की 1676 शिकायतें मिली हैं. इनमें से अब तक 758 मामलों की जांच की जा चुकी है.
आयोग का अनुमान है कि बांग्लादेश में जबरन गायब किए जाने की संख्या 3500 को पार कर जाएगी. जांच आयोग ने अपनी इस रिपोर्ट को ‘अनफोल्डिंग द ट्रुथ’ नाम दिया है. बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद शेख हसीना ने देश छोड़ दिया और अगस्त में भारत भाग गईं. इसके बाद बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. यूनुस और अन्य अधिकारियों ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करने की बात कही है. हालांकि अभी तक कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया गया है.
जांच आयोग मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट सबमिट करेगा. यूनुस ने आयोग को उसकी पहली अंतरिम रिपोर्ट के लिए धन्यवाद दिया और पैनल को अपना काम पूरा करने के लिए हर संभव सहायता देने का वादा किया. उन्होंने कहा कि आयोग वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहा है. हम आयोग को हर तरह की सहायता देने के लिए तैयार हैं, जिसकी उसे आवश्यकता है. यूनुस ने कहा कि वह पीड़ितों की पीड़ा के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए आयोग द्वारा पता लगाए गए कुछ जगहों दौरा करेंगे.
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