नई दिल्ली । सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष (Atul Subhash, Software Engineer) की आत्महत्या मामले में चर्चाएं जारी हैं। इसी बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजारा भत्ता से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी की है। अदालत ने 8 कारक या फैक्टर पेश किए हैं, जिनके आधार पर पत्नी को दी जाने वाली गुजारा राशि तय की जा सकती है। हालांकि, अदालत ने ये कारक एक तलाक से जुड़े एक अलग मामले में जारी किए हैं।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले तलाक से जुड़े इस मामले पर सुनवाई कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि हिन्दू मैरिज एक्ट के क्षेत्राधिकार के तहत इस विवाह का हर पहलू पूरी तरह से टूट चुका था साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पत्नी को स्थायी भत्ता देना ही एक विकल्प है, जिसपर विचार की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया फॉर्मूला
शीर्ष न्यायालय ने 8 कारक पेश किए हैं, जिनके आधार पर गुजारा भत्ता तय किया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि यह राशि तय करने के लिए एकदम स्पष्ट फॉर्मूला नहीं हैं, लेकिन स्थायी गुजारा पर फैसला करने के लिए दिशानिर्देश के तौर पर काम आ सकते हैं।
1- दोनों पक्षों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति
2- पत्नी और आश्रित बच्चों की उचित जरूरतें
3- शामिल पक्षों की शिक्षा और रोजगार की स्थिति
4- आवेदक की संपत्ति और स्वतंत्र आय के स्त्रोत
5- ससुराल में रहने के दौरान पत्नी को मिलने वाली सुख सुविधाएं
6- परिवार की जिम्मेदारियों के लिए अगर रोजगार से जुड़े कुछ त्याग किए गए हैं तो
7- अगर पत्नी काम नहीं कर रहे हैं, तो मुकदमे पर होने वाला खर्च
8- पति की आर्थिक क्षमता, उसकी आय, देनदारियां
अतुल सुभाष केस
अतुल सुभाष ने करीब डेढ़ घंटे का वीडियो जारी कर और 24 पन्नों के सुसाइड नोट में पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, अंकल सुशील सिंघानिया और पत्नी के भाई अनुराग सिंघानिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही उन्होंने नोट में जौनपुर फैमिली कोर्ट में प्रिंसिपल जज रीता कौशिक का नाम भी शामिल किया है। हालांकि, बुधवार को सुभाष के भाई विकास कुमार की शिकायत के आधार पर निकिता समेत 4 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है।
सुभाष के चाचा पवन कुमार ने आरोप लगाया कि उनके भतीजे को रुपयों के लिए परेशान तथा प्रताड़ित किया जा रहा था और उसकी पत्नी तथा न्यायाधीश ने भी उसे अपमानित किया।
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ हुआ वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वह केस हार रहा था (जो उसकी पत्नी ने दायर किया था)। उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। वे (पत्नी और ससुराल वाले) उससे लगातार रुपये मांग रहे थे। अपनी हैसियत के अनुसार वह बच्चे के भरण-पोषण के लिए उसे (पत्नी को) रुपये दे रहा था।’
शुरुआत में परिवार ने 40,000 रुपये प्रति माह की मांग की, बाद में इसे दोगुना कर दिया और फिर सुभाष से एक लाख रुपये देने को कहने लगे। कुमार ने आरोप लगाया कि सुभाष की पत्नी और उसके ससुराल वाले उनके भतीजे से बच्चे (सुभाष का चार वर्षीय बेटा) के भरण-पोषण के बहाने रुपये ऐंठ रहे थे।
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