निमाड़। निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा (siyaram baba) पंचतत्व में विलीन हो गए। खरगोन (Khargone) में कसरावद के तेली भट्यान गांव में नर्मदा किनारे उनका अंतिम संस्कार (Funeral) किया गया। साधु-संतों ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान लाखों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। सीएम डॉक्टर मोहन यादव भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
इससे पहले सियाराम बाबा की उनके आश्रम से नर्मदा घाट तक अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने जय सियाराम के नारे लगाए। करीब तीन लाख लोगों ने बाबा के अंतिम दर्शन किए। दोपहर करीब तीन बजे सीएम डॉ. मोहन यादव ने आश्रम पहुंचकर बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने बाबा की समाधि व क्षेत्र को पवित्र और पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की।
बता दें कि प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का 110 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बाबा ने बुधवार को मोक्षदा एकादशी पर सुबह 6:10 बजे अंतिम सांस ली। बाबा पिछले 10 दिन से निमोनिया से पीड़ित थे। निधन से देशभर में उनके अनुयायियों में शोक की लहर है।
संत सियाराम के अनुयायियों ने बताया, बाबा का असली नाम कोई नहीं जानता। वे 1933 से नर्मदा किनारे रहकर तपस्या कर रहे थे। 10 साल तक खड़े रहकर मौन तपस्या की। वे करीब 70 साल से रामचरित मानस का पाठ भी कर रहे थे। उन्होंने अपने तप और त्याग से लोगों के हृदय में जगह बनाई। उनके मुंह से पहली बार सियाराम का उच्चारण हुआ था, तभी से लोग उन्हें संत सियाराम बाबा कहकर पुकारते हैं।
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