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    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कृषि मंत्री शिवराज से पूछा-किसानों से किया वादा क्यों नहीं निभाया

  • December 04, 2024

    नई दिल्ली. किसानों (farmers) के प्रति केंद्र सरकार (Central government) के रवैये पर उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने मंगलवार को कृषि मंत्री (Agriculture Minister) से सवाल किया कि आखिर किसानों से जो लिखित वादे किए गए थे, उन्हें क्यों नहीं निभाया गया. उपराष्ट्रपति का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो कह रहे हैं, ‘कृषि मंत्री जी, एक-एक पल भारी है. मेरा आपसे आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताएं , क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया, वादा निभाने के लिए हम क्या कर रहे हैं?’



    उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री पर उठाए सवाल
    एक कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है. हम किसान को पुरस्कृत करने की बजाय, उसका सही हक भी नहीं दे रहे हैं.’

    जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘पिछले साल भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है. कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं. पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है. पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है. दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था. जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है.’

    जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘ये समय मेरे लिए कष्टदायक है क्योंकि मैं राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत हूं. पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है. पहली बार मैं महसूस कर रहा हूं कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं है बल्कि लक्ष्य है. दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था, दुनिया में हमारी साख पहले कभी इतनी नहीं थी, भारत का प्रधानमंत्री आज विश्व के शीर्ष नेताओं में गिना जाता है, जब ऐसा है तो फिर मेरा किसान परेशान क्यों है? ये बहुत गहराई का मुद्दा है. इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं. हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है. कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा. किसान अकेला है, जो असहाय है. ‘

    एक दिन पहले भी उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों की अहमियत पर जोर देते हुए कहा था, “हमें चिंतन करने की जरूरत है, जो हुआ सो हुआ, लेकिन आगे का रास्ता सही होना चाहिए. विकसित भारत खेतों से बनता है, विकसित भारत का रास्ता खेतों से होकर जाता है. किसानों की समस्याओं का त्वरित समाधान होना चाहिए.”

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