नई दिल्ली: आम आदमी मेहनत करके कमाई करता है. सरकार उस कमाई पर टैक्स लगाकर देश के विकास के लिए धन जुटाती है. इसी तरह विभिन्न कंपनियों पर भी अलग-अलग टैक्स लगते हैं और उससे प्राप्त आय को भी सरकार विकास के लिए खर्च करती है. लेकिन, अगर बड़े-बड़े बिजनेस ही टैक्स चोरी करने लगें तो क्या होगा? हाल ही में सरकार ने क्रिप्टो एक्सचेंजों द्वारा 824.14 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का खुलासा किया है.
लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे बिनांस (Binance), वजीरएक्स (WazirX), कॉइन डीसीएक्स (CoinDCX), और कॉइन स्विच कुबेर (CoinSwitch Kuber) पर जीएसटी चोरी का आरोप लगा है. इन मामलों में कुल 824.14 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पाई गई है. हालांकि, सरकार अब तक केवल 122.29 करोड़ रुपये ही वसूल पाई है, जिसमें ब्याज और जुर्माना भी शामिल है. यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लिखित में दी.
सबसे बड़ा दोषी बिनांस ग्रुप माना गया है, जिस पर अकेले 722.43 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का आरोप है. अन्य कुछ एक्सचेंजों से तो सरकार ने रिकवरी भी कर ली है, मगर बिनांस से अभी तक कोई रिकवरी नहीं हो पाई है.
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर भारत सरकार 30 फीसदी का फ्लैट टैक्स लगाती है. इसके अलावा, सालाना 50,000 रुपये से ज्यादा के लेन-देन पर 1 फीसदी टीडीएस भी लागू होता है. मौजूदा जीएसटी अधिनियम में क्रिप्टो या डिजिटल एसेट्स की स्पष्ट परिभाषा नहीं है. हालांकि, वित्त बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (Virtual Digital Assets) को एक नया टर्म शामिल किया गया है.
मार्च 2023 से, क्रिप्टो एसेट्स को प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (Prevention of Money Laundering Act – PMLA) के तहत लाया गया है. इसके चलते सभी क्रिप्टो एक्सचेंज और सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा तय मानकों का पालन करना जरूरी कर दिया गया है.
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