उज्जैन। आगामी सिंहस्थ में शिप्रा नदी के किनारे दोनों ओर के घाट नये सिरे से बेसाल्ट (काले पत्थरों) से बनाए जाएंगे। इससे घाट स्थाई रूप से मजबूत रहेंगे और शिप्रा नदी अपने वैभवी स्वरूप में नजर आएगी। इतना ही नहीं शिप्रा को प्रवाहमान करने के लिए क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट भी पूर्ण होगा। साथ ही नगर की प्राचीन धरोहरों को भी सहेजा जाएगा। यह प्रेजेंटेशन देख भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा खुश हुए और उन्होंने प्रेजेंटेशन की तारीफ की। उनके साथ मुख्यमंत्री डॉ. यादव भी थे।
रविवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा उज्जैन और विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद उन्होंने सिंहस्थ 2028 की कार्ययोजना और तैयारियों के संबंध में कलेक्टर सभागृह में रखा गया प्रेजेंटेशन देखा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, सांसद अनिल फिरोजिया, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल आदि मौजूद थे। प्रेजेंंटेशन देखने के बाद केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि यह प्रस्तुतिकरण बहुत ही शानदार है। इसी सोच के साथ इस कार्ययोजना को जमीन पर उतारा गया तो उज्जैन अपनी संस्कृतिक, धार्मिक, पौराणिक विरासत को संजोने में सफल होगा। उज्जैन अपनी धार्मिक सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत को समेटे हुए हैं इस प्रकार की कार्य योजना से उज्जैन का पुरातन वैभव ओर बढ़ेगा और राजा विक्रमादित्य की अवंतिका का स्वरूप प्राप्त होगा।
सीएम बोले, सिंहस्थ स्नान शिप्रा के जल से ही कराएंगे
प्रेजेंटेशन के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कपिला गौशाला और शिप्रा को प्रवाहमान बनाने की कार्य योजना की जानकारी स्वयं दी। उन्होंने कहा कि इस कार्य योजना से कम से कम कीमत में शिप्रा को अविरल एवं स्वच्छ कर पाएंगे और सिंहस्थ 2028 में क्षिप्रा जल से ही स्नान होगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इसके साथ ही गौवंश को सुरक्षित करने की कार्ययोजना के संबंध में बताया कि सभी प्रमुख शहरों में 10 हजार गौवंश को रखने के लिए गौशालाएं बनाई जा रही हैं। कम से कम खर्चे में वह कम से कम मानव शक्ति का प्रयोग कर इन गौशालाओं का संचालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्ययोजना को मूर्तरुप देने के लिए उल्टी गिनती के साथ कार्य शुरू करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।
काले पत्थरों से तैयार होंगे घाट
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि इस बार सिंहस्थ में क्षिप्रा नदी के दोनों ओर बेसाल्ट पत्थर से स्थायी घाटों का निर्माण होगा, जिससे आने वाले समय में क्षिप्रा नदी के स्वरुप को स्थायित्व मिलेगा और आगामी सिंहस्थों में अतिरिक्त घाटों के निर्माण की आवश्यकता नहीं होगी। सिंहस्थ 2028 तक शिप्रा नदी को प्रवाहमान एवं अविरल करने के लिए कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना, सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी मध्यम परियोजना तथा कान्ह एवं क्षिप्रा नदी पर बैराज का निर्माण व बेसाल्ट से घाटों का निर्माण एवं संबद्ध कार्य किए जा रहे है।
कान्ह नदी पर बैराज का निर्माण होगा
कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना का मुख्य उद्देश्य कान्ह नदी के दूषित जल को उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी में मिलने से रोकना है, जिससे कि मोक्ष दायिनी क्षिप्रा नदी का जल पवित्र बना रहे। इस परियोजना में ग्राम जमालपुर तहसील उज्जैन में कान्ह नदी पर एक बैराज का निर्माण किया जाना है, जिससे कान्ह नदी के दूषित जल को क्लोज डक्ट के माध्यम से व्यपवर्तित किया जाना है। परियोजना की कुल लम्बाई 30.15 की. मी. है जिसमे 18.15 किमी लम्बाई में कट एवं कवर द्वारा क्लोज डक्ट का निर्माण होना है तथा 12 किमी लम्बाई में टनल का निर्माण किया जाना है, इसकी कुल लागत राशि रुपये 920 करोड़ है तथा पूर्णता अवधि 36 माह है। सेवरखेड़ी सिलारखेड़ी मध्यम परियोजना क्षिप्रा नदी को निरंतर प्रवाह मान बनाए रखने के लिए है। परियोजना अंतर्गत ग्राम सेवरखेड़ी तहसील उज्जैन में क्षिप्रा नदी पर बैराज निर्माण किया जाना है जिससे वर्षा काल के जल का उद्वहन कर ग्राम सिलारखेड़ी तहसील उज्जैन में स्थित सिलारखेड़ी तालाब में एकत्रित किया जाना प्रस्तावित है।
उज्ज्ैन-झालावाड़ रेल लाईन पर 2836 करोड़ खर्च होंगे
रेलवे स्टेशन का उन्नयन व उज्जैन-आगर-झालावाड़ की रेलवे लाइन जिसकी लागत राशि रुपये 2836 करोड़ है। इस पर भी कार्य किया जा रहा है। इसी के साथ मूलभूत यात्री सुविधाओं के साथ उज्जैन जिले में सैटेलाइट स्टेशन 30 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया जाएगा। इस अवसर पर नये कलेक्ट्रेट भवन, यूनिटि मॉल, महाकाल भक्त निवास, मेडिसिटी के रुप में उज्जैन में बनने जा रहे मेडिकल हब की कार्ययोजना, विक्रम उद्योगपुरी व आई.टी. पार्क का भी प्रस्तुतिकरण हुआ। इसके साथ ही एमपीईबी के कार्यों, क्षिप्रा नदी पर 6 नए पुलों का निर्माण, जावरा फोरलेन को दिल्ली-मुम्बई सुपर हाईवे से जोडने की कार्य योजना तथा उज्जैन से अन्य शहरों को जोडऩे वाले मुख्य मार्गों को फोर लेन एवं सिक्स लेन में परिवर्तित करने की कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण भी किया गया।
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