डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को जनसंख्या (Population) में गिरावट को लेकर चिंता व्यक्त की थी। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि प्रजनन दर (Fertility Rate) 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए। मौजूदा समय में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की आवश्यकता है। उनके इस बयान पर देशभर में बहस तेज हो गई। विपक्षी नेताओं ने भागवत के इस बयान की आलोचना की। हालांकि, भाजपा (BJP) ने आरएसएस प्रमुख का बचाव किया।
राकांपा-एसपी नेता क्लाइड कैस्ट्रो ने मोहन भागवत के दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “मोहन भागवत एक जिम्मेदार नेता हैं और वह जो कुछ कहते हैं, उन्हें कई लोग सुनते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि वे जैसा बयान दे रहे हैं, उन्हें इसके पीछे के कारणों पर भी गौर करना चाहिए। सिर्फ बयान देना और लोगों को अपनी बातें सुनाने से काम नहीं चलता है। मुझे लगता है कि जब वे बयान देते हैं तो उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका असर देश पर न पड़े।”
आज दोनों सदन स्थगित होने के बाद कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने मीडिया से बात की। उन्होंने आरएसएस प्रमुख के बयान पर कहा, “मैं पूछना चाहती हूं कि अगर हम ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं तो स्कूलों की फीस, एयरलाइन किराया और स्कूल खर्च भी कम होनी चाहिए। यहां बेरोजगारी है। उन्हें बताना चाहिए कि तीन बच्चे क्यों पैदा करने चाहिए।”
कांग्रेस नेता उमंग सिंघर ने कहा, “जो पहले से हैं उनको तो नौकरियां दिलवा दो, नौकरियां है नहीं, फसल की जमीन कम हो रही हैं। मोहन भागवत चाहते हैं कि दो से ज्यादा बच्चे हों। देश में बेरोजगारी बढ़ रही है आज के युवाओं को नौकरियां नहीं मिल रही फसल की जमीने कम होती जा रही है जबकि जनसंख्या बढ़ती जा रही है। मोहन भागवत चीन से सीख नहीं ले पा रहे और वो जनसंख्या के मामले में देश को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मेरा सुझाव है कि मोहन भागवत, पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शुरुआत करनी चाहिए। इन्हें जनसंख्या की इतनी चिंता है तो शुरुआत भी इन्हीं से होनी चाहिए।”
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “भागवत जी कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ानी चाहिए, लेकिन क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को कुछ फायदा मिले? क्या वह गरीब परिवारों को हर महीने 1500 रुपये देंगे?”
मोहन भागवत के बयान की चर्चा देशभर में हो रही है। विपक्ष नेताओं के आलोचनाओं के बीच भाजपा ने उनका बचाव किया। भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा, “मेरी व्यक्तिगत राय में उन्होंने यह बात भारत के विकास के सिलसिले में कही है। भारत को बुजुर्गों (अधिक उम्र वाला) वाला देश नहीं बनना चाहिए।”
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