डेस्क: सीरिया (Syria) में एक बार फिर विद्रोह की आग भड़क रही है, बशर अल-असद सरकार के खिलाफ हयात तहरीर अल-शाम (HTS) गुट ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है. इसके अलावा तुर्किए के समर्थन वाले कुछ विद्रोही गुट भी संघर्ष में शामिल हैं. सीरिया में असद सरकार को चुनौती देने वाले मुख्य विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने महज़ 4 दिन के भीतर सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया है.
अलेप्पो पर कब्जे के बाद हयात तहरीर अल-शाम के लड़ाकों ने कुर्दिश गुट के ठिकानों पर भी हमले किए हैं. दरअसल इस जंग में बशर सरकार की सेना, HTS और तुर्किए समर्थित विद्रोही गुटों के अलावा कुर्दिश लड़ाके भी शामिल हैं. अलेप्पो शहर में पिछले हफ्ते तक जिन इलाकों पर सीरिया की सेना का कब्जा था, उनमें से कुछ हिस्सों पर अब कुर्दिश लड़ाकों ने भी नियंत्रण हासिल कर लिया है.
सीरिया के ताज़ा हालात ईरान और रूस के लिए चिंताजनक हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में यह दोनों असद सरकार का समर्थन करते रहे हैं. सीरिया में करीब 13 साल पहले शुरू हुए गृह युद्ध में 26 नवंबर को एक नया मोड़ आया जब HTS समूह ने संघर्ष विराम को तोड़ते हुए अलेप्पो शहर पर हमला कर दिया.
राष्ट्रपति बशर अल-असद ने विद्रोहियों से निपटने के लिए रूस से मदद मांगी जिसके बाद रूसी सेना ने रविवार की सुबह विद्रोही गुटों के ठिकानों पर जमकर बमबारी की. सीरिया के अलेप्पो शहर में रूसी सेना के हमलों में 50 से अधिक लोगों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है.
वहीं अब खबर है कि ईरान भी सीरिया में सेना भेज सकता है, बीते 24 घंटे में इस मसले पर ईरान में काफी हलचल देखने को मिली है. एक और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची एक प्रतिनिधिमंडल के साथ सीरिया की राजधानी दमिश्क में डेरा डाले हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने रविवार को इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया से बातचीत में हर तरह के सहयोग का वादा दिया है.
पेजेश्कियान ने सीरिया में जारी विद्रोहियों के हमले को आतंकी कार्रवाई बताते हुए कहा है कि ईरान, सीरिया में हयात अल-तहरीर अल-शाम और दूसरे विद्रोही गुटों के हमलों के खिलाफ सहयोग के लिए तैयार है. पेजेश्कियान के इस बयान से माना जा रहा है कि सीरिया में बशर सरकार की मदद के लिए ईरान भी अपनी सेना भेज सकता है.
इससे पहले IRGC के जनरल और ईरान की संसद में नेशनल सिक्योरिटी और फॉरेन पॉलिसी कमेटी के सदस्य इस्माइल कोसवारी ने कहा था कि, ‘क्या जिस तरह से ईरान ने पहले सीरिया में सेना भेजी थी, उसी तरह अब दोबारा सेना भेजेगा या नहीं यह भविष्य की परिस्थितियों और देश के वरिष्ठ अधिकारियों के फैसले पर निर्भर करेगा. हालांकि निश्चित तौर पर सीरिया में मौजूद रेसिस्टेंट फ्रंट एक्टिव होगा.’
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