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    Champions Trophy 2025: इतना है ICC का रेवेन्यू मॉडल, इसलिए भारत से जलता है पाकिस्‍तान, जानें

  • December 02, 2024

    नई दिल्‍ली । आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 (ICC Champions Trophy 2025)के शेड्यूल और वेन्यू पर सस्पेंस(Suspense over schedule and venue) बरकार है. इस टूर्नामेंट की मेजबानी पाकिस्तान(Pakistan hosted the tournament) को मिली थी, मगर भारतीय क्रिकेट टीम सुरक्षा कारणों से पड़ोसी देश की यात्रा नहीं करेगी. भारत सरकार ने भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान जाने की मंजूरी नहीं दी. इसके चलते पाकिस्तानी धरती पर इस पूरे टूर्नामेंट का आयोजन असंभव है. अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत इस टूर्नामेंट को आयोजित करना चाहता है.

    आईसीसी ने कार्यकारी बोर्ड की मीटिंग में मोहसिन नकवी से साफ-साफ कह दिया था कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) या तो ‘हाइब्रिड मॉडल’ को अपनाए या टूर्नामेंट से बाहर होने के लिए तैयार रहे. पीसीबी चीफ नकवी ‘हाइब्रिड मॉडल’ पर राजी हैं, लेकिन कुछ शर्तों के साथ. पीसीबी की सबसे बड़ी शर्त यह है कि आईसीसी अपने राजस्व में पाकिस्तान के हिस्से को 5.75 प्रतिशत से बढ़ा दे. यह एक ऐसी शर्त है जो सारा खेल बिगाड़ सकती है.

    रेवेन्यू में हिस्सेदारी से नाराज है पीसीबी


    आईसीसी अपने मौजूदा रेवेन्यू मॉडल (2024-27) के तहत सालाना 60 करोड़ डॉलर (करीब 5073 करोड़ रुपए) वितरित कर रही है. आईसीसी के इस राजस्व में भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) को सबसे ज्यादा 38.50% (लगभाग 1953 करोड़ रुपए सालाना) हिस्सा मिल रहा है. जबकि एसोसिएशट देशों की हिस्सेदारी 11.19 प्रतिशत है. इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान को हर साल क्रमशः 6.89%, 6.25% और 5.75% हिस्सा मिल रहा है।

    देखा जाए तो पाकिस्तान के हिस्से में हर साल करीब 291 करोड़ रुपये आ रहे हैं. पाकिस्तान को जो हिस्सेदारी मिली है, उस पर वो हरदम रोता रहता है. भारत को पाकिस्तान की तुलना में 7 गुना ज्यादा पैसा मिल रहा है, जो बिल्कुल उचित भी है. भारत क्रिकेट का सबसे बड़ा बाजार है और आईसीसी के राजस्व में उसका योगदान काफी ज्यादा है. ऐसे में आईसीसी का मौजूदा रेवेन्यू मॉडल काफी हद तक सही है।

    पीसीबीअब चाहता है कि आईसीसी के राजस्व में उसका हिस्सा 5.75 प्रतिशत से बढ़ाया जाए, जो फिलहाल मुमकिन नहीं दिखता. पीसीबी अगर राजस्व हिस्सेदारी में इजाफे पर अड़ा रहता है, तो आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी को पाकिस्तान के बिना आयोजित करा सकता है. हालांकि, इससे आईसीसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है और वित्तीय हानि भी हो सकती है।

    आईसीसी का मौजूदा रेवेन्यू मॉडल (सालाना):

     देश राजस्व शेयर (मिलियन डॉलर में) राजस्व में हिस्सा (प्रतिशत में)
    भारत 231.00 38.50
    एसोसिएट नेशन्स 67.16 11.19
    इंग्लैंड 41.33 6.89
    ऑस्ट्रेलिया 37.53 6.25
    पाकिस्तान 34.51 5.75
    न्यूजीलैंड 28.38 4.73
    वेस्टइंडीज 27.50 4.58
    श्रीलंका 27.12 4.52
    बांग्लादेश 26.74 4.46
    साउथ अफ्रीका 26.24 4.37
    आयरलैंड 18.04 3.01
    जिम्बाब्वे 17.64 2.94
    अफगानिस्तान 16.82 2.80

    पीसीबी की एक शर्त यह भी है कि 2031 तक भारत में होने वाले आईसीसी टूर्नामेंट में भी ‘हाइब्रिड मॉडल’ लागू हो, जो संभव नहीं दिखता, कहने का अर्थ यह है कि पाकिस्तान इस अवधि के दौरान भारत आकर आईसीसी टूर्नामेंट्स में नहीं खेलना चाहता है. भारत को 2031 तक आईसीसी के तीन पुरुष टूर्नामेंट्स की मेजबानी करनी है, जिसमें श्रीलंका के साथ मिलकर 2026 टी20 वर्ल्ड कप, 2029 चैम्पियंस ट्रॉफी और बांग्लादेश के साथ मिलकर 2031 वनडे वर्ल्ड कप का आयोजन शामिल है।

    …दुबई में हो सकते हैं भारत के मुकाबले

    पीसीबी की एक और शर्त यह है कि चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल के लिए लाहौर को बैकअप के तौर पर रखा जाए. और अगर भारत फाइनल में नहीं पहुंचता तो खिताबी मुकाबला लाहौर में कराया जाए. पाकिस्तान अगर ‘हाइब्रिड मॉडल’ को स्वीकार करता है तो भारत के मुकाबले दुबई में आयोजित होंगे. जबकि बाकी मुकाबले पाकिस्तान में होंगे और पाकिस्तान के पास मेजबानी के अधिकार होंगे. अगर टूर्नामेंट को स्थगित किया जाता है तो पीसीबी को 60 लाख डॉलर (50.73 करोड़ रुपये) के मेजबानी शुल्क से हाथ धोना पड़ेगा।

    इस प्रतियोगिता का आयोजन 19 फरवरी से नौ मार्च के दौरान ही होने की संभावना है. भारत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद से पाकिस्तान में क्रिकेट नहीं खेला है. चैम्पियंस ट्रॉफी 2017 के बाद पहली बार ICC कैलेंडर में वापसी कर रही है. पाकिस्तान ने 2017 में इंग्लैंड में आयोजित चैम्पियंस ट्रॉफी के पिछले संस्करण को जीता था. एश‍िया कप 2023 जो पाकिस्तान की मेजबानी में हुआ था, उसमें भारत ने अपने सभी मैच ‘हाइब्रिड मॉडल’ के तहत श्रीलंका में खेले थे

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